आर्टेमिसिनिन कॉम्बिनेशन थेरपी प्रतिरोध गंभीर चुनौती, त्वरित कदम आवश्यक:

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लखनऊ: 33वां राष्ट्रीय परजीविविज्ञान कांग्रेस (NCP-2025) आज अपने दूसरे दिन सीएसआईआर–सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई), लखनऊ में वैज्ञानिक विचार-विमर्श के साथ आगे बढ़ा।

यह प्रतिष्ठित आयोजन भारतीय परजीविविज्ञान सोसायटी (ISP) की स्वर्ण जयंती का स्मरण कराता है तथा जैव-चिकित्सीय अनुसंधान और औषधि खोज में सीएसआईआर-सीडीआरआई के 75 वर्षों के अग्रणी योगदान का उत्सव मनाता है।

दिन की शुरुआत परजीवी रोगों हेतु औषधि खोज एवं अनुवादीय अनुसंधान संबंधी छटवें सत्र से हुई, जिसमें देशभर के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया।

विशेष आकर्षण डॉ. जेरमी बरोज़, उपाध्यक्ष एवं प्रमुख—अनुसंधान एवं औषधि खोज, मेडिसिन्स फॉर मलेरिया वेंचर (MMV), जेनेवा का प्लेनरी व्याख्यान रहा। उन्होंने “अगली पीढ़ी की मलेरिया-रोधी दवाओं पर केंद्रित औषधि खोज” विषय पर व्याख्यान दिया।

डॉ. बरोज़ ने बताया कि मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में मौजूदा आर्टेमिसिनिन कॉम्बिनेशन थैरेपी (ACTs) के प्रति बढ़ते प्रतिरोध को देखते हुए नई पीढ़ी की मलेरिया-रोधी उपचार विधियों की तत्काल आवश्यकता है।

उन्होंने MMV की एंटी-मलेरियल विकास श्रृंखला में हुई महत्वपूर्ण प्रगति प्रस्तुत की, जिसमें दीर्घकालिक प्रभाव वाली औषधि-उम्मीदवार, अनुकूलित एकल-खुराक तथा इंजेक्टेबल उपचार रणनीतियाँ शामिल हैं।

साथ ही, उन्होंने औषधि अभिकल्पना (ड्रग डिज़ाइन) को तेज़ करने और सटीक फार्माकोलॉजी को सक्षम बनाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की बढ़ती भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि वैश्विक साझेदारियाँ, समान/सुलभ पहुँच और अनुवादीय नवाचार ही विश्वभर में संवेदनशील जनसंख्या तक प्रभावी, किफायती और टिकाऊ मलेरिया-रोधी समाधान पहुँचाने की कुंजी हैं।

दूसरे दिन के अन्य सत्रों में आमंत्रित व्याख्यानों, फ्लैश टॉक्स तथा पोस्टर प्रस्तुतियों के माध्यम से मौलिक एवं अनुवादीय परजीवी जीवविज्ञान, परजीवियों की जैवरसायन एवं कोशिका जीवविज्ञान, तथा उभरते निदान उपायों, उपचारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में हुई प्रगति का प्रदर्शन किया गया।

फ्लैश टॉक श्रृंखला ने उभरते युवा वैज्ञानिकों को परजीविविज्ञान के अग्रिम अनुसंधान प्रस्तुत करने का उत्कृष्ट मंच प्रदान किया।

आज के दसवें सत्र के दौरान प्रतिष्ठित ‘ओरेशन’ पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनमें—
डॉ. बी.एन. सिंह स्मृति ओरेशन पुरस्कार — डॉ. कृष्णपाल कर्मोडिया (IISER, पुणे)
डॉ. बी.पी. पांडे स्मृति ओरेशन पुरस्कार — प्रोफ़ेसर सुखबीर कौर (पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)
डॉ. के. हनुमंथा राव स्मृति ओरेशन पुरस्कार — प्रोफ़ेसर हरप्रीत कौर (पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)
इन व्याख्यानों के माध्यम से भारत में परजीविविज्ञान अनुसंधान में परिवर्तनकारी योगदान देने वाले इन वरिष्ठ वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।

दिन का समापन अभिषेक बोरकर एवं श्री यशवंत वैष्णव की सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुआ। इसके पश्चात आयोजित रात्रिभोज ने प्रतिभागियों को अनौपचारिक संवाद, नेटवर्किंग और सहयोग के अवसर प्रदान किए।

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