लखनऊ : वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद – केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीडीआरआई), लखनऊ एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (आईआईटी-कानपुर) के संयुक्त तत्वावधान में 7वीं बायोग्रुप इंडिया मीटिंग का सफल आयोजन किया गया।
यह राष्ट्रीय सम्मेलन देश भर से आए जीवविज्ञानी, रसायन वैज्ञानिक, भौतिक वैज्ञानिक और चिकित्सकों को एक मंच पर लाया, जहाँ स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान से संबंधित नई खोजों और नवाचारों पर चर्चा हुई।
सीएसआईआर-सीडीआरआई और आईआईटी कानपुर की साझेदारी में हुई मीटिंग
कार्यक्रम का शुभारंभ सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन के स्वागत भाषण से हुआ। इसके पश्चात डॉ. निति कुमार (सीएसआईआर-सीडीआरआई) और डॉ. सरवनन मथेश्वरन द्वारा बायोग्रुप इंडिया का परिचय दिया गया। यह मंच देशभर के उभरते वैज्ञानिकों को एक साथ जोड़ने और सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से कार्य कर रहा है।
सम्मेलन का प्रमुख आकर्षण रहा प्रोफेसर सुदीप्त मैती (बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी – हैदराबाद परिसर) का प्रेरणास्पद व्याख्यान “वर्जिन रोड्स एंड मिस्ड बोट्स: व्हाट यू कैन लर्न फ्रॉम माय कंटिन्यूइंग जर्नी इन साइंस”।
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कार्यक्रम में विद्यार्थियों के लिए फ्लैश टॉक्स का आयोजन भी किया गया, जिसमें युवा शोधकर्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। समापन अवसर पर सीएसआईआर-सीडीआरआई के छात्रों ने विज्ञान और संस्कृति के समन्वय को सजीव किया।
बायोग्रुप इंडिया मीटिंग में 30 से अधिक वैज्ञानिकों ने साझा किए शोध
7वीं बायोग्रुप मीटिंग ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि यह मंच वैज्ञानिक संवाद, नवाचार और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक प्रभावशाली प्रयास है।
यह आयोजन भारत में जैवचिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य नवाचार को आगे बढ़ाने में सीएसआईआर-सीडीआरआई और आईआईटी-कानपुर की अग्रणी भूमिका को सुदृढ़ करता है। इस दौरान सात वैज्ञानिक सत्रों में 30 से अधिक प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए।
प्रस्तुतियाँ निम्न विषयों पर केंद्रित रहीं
• संक्रामक रोग और रोगजनक जीवों की जैविक प्रक्रिया
• न्यूरोलॉजिकल और मेटाबोलिक बीमारियाँ
• कैंसर की प्रकृति और जीन नियमन
• दवा खोज, टीका निर्माण और नवीन उपचार पद्धतियाँ
• जीनोमिक्स और जैव सूचना विज्ञान
• अकादमिक और औद्योगिक साझेदारी में नवाचार
विभिन्न सत्रों में प्रमुख व्याख्यान में शामिल रहीं:
• मलेरिया परजीवी में प्रोटीन संतुलन – डॉ. निति कुमार, सीएसआईआर-सीडीआरआई
• डेंगू के लिए आरएनए आधारित उपचार – डॉ. भूपेन्द्र वर्मा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली
• पार्किंसन रोग में लिपिड परिवर्तन – डॉ. पूनम ठाकुर, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), तिरुवनंतपुरम
• बीजों में एमिलॉइड की खोज और उसका अंकुरण में योगदान – डॉ. अश्वनी ठाकुर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर
• एकल-कोशिका अनुक्रमण द्वारा कैंसर की विविधता की पहचान – डॉ. हमीम ज़फ़र, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर
• उद्योग और अकादमिक साझेदारी के माध्यम से दवा अनुसंधान – डॉ. चंद्रशेखरन सिद्दमडप्पा, विप्राजेन बायोसाइंसेज