प्रसिद्ध कवि-गीतकार गुलजार को गुरुवार को मुंबई उपनगरीय बांद्रा में मौजूद उनके आवास पर भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
90 वर्षीय गीतकार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण पिछले सप्ताह नई दिल्ली में आयोजित समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे। गुलजार को भारतीय ज्ञानपीठ के ट्रस्टी मुदित जैन, पूर्व सचिव धर्मपाल और महाप्रबंधक आर एन तिवारी सहित सदस्यों की तरफ से प्रशस्ति पत्र, 11 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिकृति प्रदान की गई।
इस दौरान आर एन तिवारी ने कहा, ‘हम जब ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए गुलजार साहब से उनके आवास पर मिले। इस अवसर पर गुलजार साहब के दामाद गोविंद संधू, फिल्म निर्माता विशाल भारद्वाज, उनकी पत्नी रेखा और कुछ साहित्यकार मौजूद थे।’
गुलजार को 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण, 2008 में ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के गीत ‘जय हो’ के लिए अकादमी पुरस्कार और ग्रैमी पुरस्कार व भारतीय फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिल चुका है।
संपूरण सिंह कालरा, जिन्हें गुलजार के नाम से जाना जाता है, हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं और उन्हें इस दौर के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक माना जाता है।
उन्होंने ‘परिचय’, ‘कोशिश’, ‘आंधी’, ‘माचिस’ और ‘हू तू तू’ जैसी समीक्षकों की तरफ प्रशंसित फिल्मों का भी निर्देशन किया है। उनके कुछ सबसे उल्लेखनीय गीत ‘आनंद’ में ‘मैंने तेरे लिए’, ‘मौसम’ में ‘दिल ढूंढता है’, ‘दिल से..’ में ‘छैया छैया’ और ‘गुरु’ में ‘ऐ हैराते आशिकी’ हैं।
1961 में साहू शांति प्रसाद जैन और रमा जैन की तरफ से स्थापित, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार फिराक गोरखपुरी, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, आशापूर्णा देवी, महादेवी वर्मा, गिरीश कर्नाड, निर्मल वर्मा और दामोदर मौजो सहित भारतीय भाषाओं के प्रसिद्ध साहित्यकारों को दिया गया है।
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