लखनऊ। किसान कल्याणकारी क्लब, उत्तर प्रदेश और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सेक्टर 25 इंदिरा नगर, (RWA-25IN) के संयुक्त तत्वावधान में “बागवानी आयुर्वेद एवं आहार-विहार” विषय पर डॉ. विजय बहादुर द्विवेदी (संयुक्त निदेशक, हार्टिकल्चर एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश), ने “किचन गार्डेन तथा छत गार्डेन का
प्रबंधन एवं किसानों के लिए सरकारी योजनाएं” पर अपना व्याख्यान दिया।
वरिष्ठ एवं मुख्य वैज्ञानिक तथा सीएसआईआर- सीमैप, लखनऊ के चिकित्सा अधिकारी डॉ दयानंदन मणि ने “मुख्य रोगों का औषधीय पौधों द्वारा प्रबंधन” विषय पर एवं लखनऊ की विख्यात डॉक्टर शालिनी श्रीवास्तव, वरिष्ठ डाइटिशियन, किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ ने अपना व्याख्यान “आहार-विहार का स्वास्थ्य प्रबंधन में योगदान” विषय पर बोला।
उन्होंने प्रतिभागियों को अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पोषक तत्वों तथा संतुलित खान-पान, मनोरंजन, घूमना- फिरना, योग आदि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए यह भी कहा कि किस रोग की स्थिति में कैसा खाना लेना चाहिए l इनके द्वारा समझाएं गए खान-पान के प्रबंधन का विषय सराहनीय रहा l
डॉक्टर डीएन मणि ने अपने वक्तव्य में मानव के मुख्य रोगों के बारे में विस्तार से कहते हुए इनके औषधीय पौधों द्वारा रोगों का निदान के बारे में और आयुर्वेद की दवाओं को प्रदूषण मुक्त एवं प्रभावकारी बताया। डॉक्टर मणि ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद का जन्म हमारे देश भारत में सबसे पहले हुआ।
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यह रामा-युग के भी पहले से इस पद्धति का अनुमान है जिसका रामचरितमानस में लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने पर हनुमान जी वैध सुखेन को लाए और संजीवनी बूटी औषधियों का उपयोग कर उन्हें ठीक किया। कालांतर में चरक, धनवंतरी आदि वैधों ने आयुर्वेद के क्षेत्र में तथा बड़े-बड़े महार्षियों के नाम भी इतिहास में आया है।
जिन्होंने औषधीय पौधों के गुण को सर्वव्यापी किया। डॉक्टर मणि ने अपनी टीम द्वारा विकसित उत्पादों जैसे बीजेआर- 34 मधुमेह के लिए, सीम-फल के चूर्ण, सिम-कैंडी, कफ सिरप आदि के बारे में भी जानकारी देकर प्रतिभागियों को लाभान्वित किया।
घुटने की समस्या और आयुर्वेद द्वारा इसके निदान के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। इसके अलावा किचन में पाए जाने वाले मसालों का कई आकस्मिक रोगों के निदान में उपयोग की जानकारी दी।
डॉक्टर द्विवेदी (संयुक्त निदेशक) ने किसानों के हित में सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए फलदार फसलों में आम, लीची, अमरूद, बेल, बेर, आंवला, साक-सब्जी, टमाटर, आलू, शिमला मिर्च, मिर्च, लहसुन, धनिया आदि फसलों पर शोध और प्रशिक्षण कार्यों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करने के कार्य की व्याख्या की।
इसके अंतर्गत किचन गार्डेन तथा छत पर साग- सब्जी उगाने और प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। कब और कैसे किचन तथा छत पर शहरी क्षेत्र में बराबर उपयोग में आने वाले सब्जियों को उगाया जाये, के बारे में भी प्रकाश डाला। डॉक्टर मणि ने सतावर, अश्वगंधा, कालमेघ, हजारदाना, किंधायू, (आर्टमिशिया) सर्पगंधा, मुलेठी, हर्रे, तथा कई औषधीय पौधों के उपयोग और इन पौधों द्वारा रोगों के निदान के बारे में जानकारी दी।
किसान कल्याणकारी क्लब, उत्तर प्रदेश के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. द्विजेन्द्र सिंह, पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, सीमैप ने कहा कि किसी आवासीय एसोसिएशन के साथ मिलकर इस तरह की परिचर्चा को किसी शहरी वातावरण में कराने का हम सबका पहला प्रयास है।
जनता को अच्छी वैज्ञानिक जानकारी, बागवानी, आयुर्वेद एवं आहार- बिहार के बारे में और भयानक लोगों से निदान और प्रबंधन की बात की गई।
परिचर्चा में लखनऊ के सुप्रसिद्ध बागवानी विशेषज्ञ डॉ विजय बहादुर द्विवेदी औषधीय पौधों से रोगों का प्रबंधन के बारे में सुप्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य एवं वैज्ञानिक डॉ दयानंदन मणि, तथा सुप्रसिद्ध किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की वरिष्ठ डाइटिशियन डॉ शालिनी श्रीवास्तव ने आहार- विहार से रोगों का प्रबंधन विषय पर बोलकर प्रतिभागिओं को विशेष जानकारी दी l
डॉ. द्विजेन्द्र सिंह ने बताया कि यदि लखनऊ के अन्य रेजिडेंट एसोसिएशन अपने आवासी क्षेत्र में इस तरह का वैज्ञानिक जागरूकता कार्यक्रम करना चाहे तो हम उनके साथ भी आयोजन करने को तैयार हैं।