सोसाइटी फॉर सोशल एंपावरमेंट एंड रिहैबिलिटेशन ने बांटे कंबल

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दृष्टि दिव्यांगों के जीवन में क्रांति लाने वाले व्यक्ति जिसे आज हम दृष्टि दिव्यांगों की शिक्षा का जनक कहते हैं का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस से 40 किलोमीटर दूर कुप्रे नामक गांव में हुआ था बचपन में ही किसी दुर्घटना के कारण आंखें चली गई लुई ब्रेल प्रतिभा संपन्न थे.

इनका एक पादरी ने पेरिस के अंध विद्यालय में दाखिला करा दिया. इन्होंने अंध विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की और वहीं पर चार्ल्स बारबियर से मुलाकात होने पर चार्ल्स बारबियर ने इन्हें रात्रि लेख के बारे में बताया, इस रात्रि लेख एवं चार्ल्स बारबियर से लुई बहुत प्रभावित हुए इसके बाद इन्होंने कुछ बदलाव करके ब्रेल लिपि का आविष्कार कर दिया.

स्पर्श राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मोहान रोड लखनऊ में कंबल एवं पौष्टिक भोजन का वितरण

प्रारंभ में उन्हें असफलता ही मिली परंतु मृत्यु उपरांत वो विश्व प्रसिद्ध हुए. आज उनकी लिपि सारे विश्व में प्रचलित है. लुई ब्रेल के जन्मदिवस पर पूरा विश्व, विश्व ब्रेल दिवस के रूप में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है,

इसी के चलते सोसाइटी फॉर सोशल एंपावरमेंट एंड रिहैबिलिटेशन के अध्यक्ष राजेश कुमार और उनके साथीगण अशोक कुमार यादव,  एसएन राठौर ( विशेष सहयोग), महेंद्र गौतम, विशंभर मिश्रा एवं आलोक भारद्वाज के आर्थिक एवं शारीरिक सहयोग से स्पर्श राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मोहान रोड लखनऊ में नेत्रहीन बालिकाओं को कंबल बांटने एवं पौष्टिक भोजन कराने का अवसर मिला.

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बालिकाएं गर्म कंबल एवं पौष्टिक भोजन पाकर बहुत ही प्रसन्न थी और संस्थान के प्रेसिडेंट राजेश कुमार से निवेदन किया कि आप अपने संस्थान में दृष्टिबाधित बालिकाओं एवं बालकों के लिए कंप्यूटर शिक्षा एवं लघु उद्योग जैसी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएं जिससे उन्हें भविष्य में लाभ प्राप्त हो सके.

संस्थान के अध्यक्ष राजेश कुमार ने भविष्य में इस प्रकार की व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करने की बात को स्वीकार किया और भविष्य में कार्य करने का आश्वासन भी दिया इस पूरे कार्य को संपन्न कराने में स्पर्श राजकीय इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य श्रीमती संतोष मैम एवं समस्त विद्यालय स्टाफ ने सहयोग किया.

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