हैंडबॉल खिलाड़ी मोहित यादव व ज्योति शुक्ला ने ऐसे तय किया यहाँ तक का सफ़र

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाली खेल प्रतिभाओं को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश दिवस समारोह में सम्मानित किया गया।

इसके बाद इन कई खिलाड़ियों ने अभिभावकों के साथ सेल्फी सोशल मीडिया पर वायरल की तो कुछ लोग भावुक होकर अपने प्रशिक्षकों को जीत का श्रेय देते नजर आये। इनमे हैंडबॉल के भी दो खिलाड़ियों मोहित यादव को लक्ष्मण जबकि ज्योति शुक्ला को रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार देकर सम्मान दिया गया।

हैंडबाल में रुचि बढ़ी और मोहित यादव चढ़ते गए कामयाबी की सीढ़ियां

देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बा मुझे खेल की दुनिया में ले आया मेरे मन में बस एक ही इच्छा थी कि देश का नाम रोशन कर सकूं। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय हैण्डबाल खिलाड़ी मोहित यादव का। सरोजनी नगर में रहने वाले मोहित यादव ने बताया कि उनके घर में किसी का भी खेल से दूर-दूर तक नाता नहीं है।

उनके घर के निकट एक फुटबॉल खिलाड़ी रहते थे। वें ही उन्हें खेल की दुनिया में ले गए। फिर हैंडबाल में उनकी रुचि बढ़ती गई और वह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में वह चोटिल हो गए थे। ऐसा लगने लगा कि अब खेल छूट जायेगा। लेकिन प्रशिक्षक तौहीद खान ने उन्हें प्रोत्साहित किया।

ट्रेनिंग देने वाले तौहीद ने उनकी फीजियोथेरेपी करवाई। उसके बाद फिर अभ्यास शुरू करवाया। उन्होंने बताया कि मेरे पिता एक सीएचसी में मेडिकल कर्मचारी थे और अब वे सेवा निवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि घर में पुरस्कार मिलने से मेरा ख्वाब तो पूरा हो गया लेकिन अभी नौकरी नहीं मिली है।

मोहित यादव की उपलब्धियां : 
  • 47वीं, 50वीं और 51वीं सीनियर पुरुष राष्ट्रीय हैंडबॉल चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश की तरफ से प्रतिभाग।
  • 48वीं सीनियर राष्ट्रीय हैंडबाल चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश के लिए कांस्य पदक जीता।
  • काठमांडू (नेपाल) वर्ष 2019 में पांचवे साउथ एशियन गेम्स में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत जीता।

लेकिन ज्योति शुक्ला को किसी ने नहीं कहा- खेल छोड़ दो

रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार पाने वाली कानपुर की ज्योति शुक्ला ने बताया कि पिता शिव शंकर शुक्ल व्यापार करते है। लेकिन एक समय ऐसा आया कि कारोबार चौपट हो गया। इतनी धनराशि नहीं थी कि स्कूल की फीस जमा कर सकूं। लेकिन अभिभावकों ने कभी यह नहीं कहा कि खेल छोड़ दो।

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शुरुआती दौर में प्रशिक्षक अतुल मिश्र ने मुझे हैंडबाल की ट्रेनिंग दी। इसके अलावा कानपुर के हैंडबाल एसोसिएशन के सचिव और प्रशिक्षक ने हमारी आर्थिक मदद भी की।

इसके बाद जब साई हॉस्टल में चयन हो गया और फिर दो वर्ष के अंदर हमने जूनियर स्तर पर अंतरराष्ट्रीय मुकाबले भी खेले लिये। इसके बाद एक-एक कर सीनियर स्तर पर भी कई मुकाबले खेले।

ज्योति शुक्ला की उपलब्धियां :
  • 49वीं सीनियर महिला हैंडबॉल चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश की टीम में शामिल रहते हुए कांस्य पदक जीता।
  • राजधानी में हुई पांचवी साउथ एशियन महिला हैंडबॉल चैंपियनशिप के दौरान भारतीय महिला टीम में शामिल रही और स्वर्ण पदक जीता।
  • वर्ष 2018 में जकार्ता में हुए 18वें एशियन गेम्स और वर्ष 2019 में जापान में हुई 17वीं एशियाई महिला हैण्डबाल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया।

टोक्यो में पैरालंपिक में रजत पदक जीतना अनमोल लम्हों में से एक : सुहास एलवाई

कार्यालय में काम पूरा करने के बाद मैं बैडिमंटन कोर्ट में अभ्यास के लिए उतरता हूं। यह कहना था लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित किये गए आईएएस सुहास एलवाई का। लक्ष्मण पुरस्कार लेने के बाद उन्होंने बताया कि टोक्यो में पैरालंपिक में जीता रजत पदक मेरे लिए अनमोल लम्हों में एक हैं।

अभी पदकों की भूख कम नहीं हुई है। पदक जीतने का सिलसिला अभी जारी रहेगा। सितंबर माह में हांगजू (चीन) में होने वाले एशियन गेम्स में पदक जीतना मेरा अगला लक्ष्य है। गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा कि पिछले साल नवंबर में वर्ल्ड पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भाग लिया था, वहां क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा।

इस समय घर के करीब नोएडा स्टेडियम में इंडोनेशिया कोच इचुवांश से रात नौ से साढ़े दस तक अभ्यास करता हूं। उन्होंने बताया कि मेरा अगला लक्ष्य सितंबर माह में प्रस्तावित हांगजू (चीन) एशियन गेम्स में पदक जीतना है। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है।

सुहास एलवाई की उपलब्धियां:
  • उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी है।
  • यूपी बैडमिंटन टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
  • वर्ष 2016 में बीजिंग में हुई एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, वर्ष 2018 में जकार्ता में हुए पैरा एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक, वर्ष 2020 में जकार्ता में हुए पैरा एशियन गेम्स में कांस्य पदक, वर्ष 2021 में टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीता।

जमीन मिली तो राधेश्याम सिंह देंगे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग

राधेश्याम सिंह (हैमर थ्रो) को वेटरन वर्ग में लक्ष्मण पुरस्कार मिला, उन्होंने कहा कि जब मुझे जानकारी दी गई कि प्रदेश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार के लिए मुझे चुना गया है तो मुझे यकीन नहीं हुआ। खेल विभाग से फोन आने के बाद मैं दो दिन सो नहीं सका।

आज जब मुझे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लक्ष्मण पुरस्कार दिया तो मैं खुद पर नियंत्रण नहीं रख सका। जिस पुरस्कार के लिए मैं पिछले कई वर्षों से आवेदन कर रहा हूं, लेकिन पुरस्कार इनके कार्यकाल में मिला। इससे साबित होता है कि उनके कार्यकाल में किसी के साथ अन्याय नहीं हो सकता है।

उन्होंने बताया कि मैं खेल विभाग की देखरेख में कई वर्षों तक तदर्थ प्रशिक्षक के तौर पर रहा हूं। अब एक निजी स्कूल से जुड़ गया हूं। यदि सरकार मुझे कहीं भी जमीन उपलब्ध कराती हैं तो मैं बच्चों को नि:शुल्क ट्रेनिंग के लिए तैयार हूं। उन्होंने कहा कि 35 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद यह पुरस्कार मिला है।

राधेश्याम सिंह की उपलब्धियां:
  • वर्ष 1989 में गुंटूर में हुई सीनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता।
  • वर्ष 1988 में जबलपुर और वर्ष 1986 में अगरतल्ला में हुई अंतरराज्यीय सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
  • वर्ष 1987 में बिहार में आयोजित हुई अंतरराज्यीय सीनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

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