वेदों का अनुसरण करने से ही हमें हो सकती है आत्मज्ञान की प्राप्ति

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लखनऊ. महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों व लाभार्थियों ने महर्षि दयानंद सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया.

इस अवसर पर हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त रूढ़िवादी कुरीतियों को दूर करने के लिए अनेक कदम उठाए और आर्य समाज की स्थापना भी की. महर्षि दयानंद सरस्वती एक ऐसे महापुरुष थे.

जिन्होंने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को वेदों का पाठ पढ़ाया और वेदों की ओर लौटो का नारा दिया था. दयानंद सरस्वती जी का मानना था कि संसार का संपूर्ण ज्ञान वेदों में निहित है. वेद ही नैतिकता का पाठ पढ़ा सकते हैं और शिक्षा दे सकते हैं.

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वेदों का अनुसरण करने से ही हमें आत्मज्ञान की प्राप्ति हो सकती है और हमारा जीवन सार्थक हो सकता है. उन्होंने सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सशक्त अभियान चलाया, महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का खंडन किया, महिला शिक्षा का अभियान शुरू किया.

स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान लेखक भी थे जिन्होंने सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना की. महर्षि दयानंद सरस्वती जी हिंदी को भारत की मातृभाषा बनाने के लिए संकल्पित थे. उन्होंने अपने पूरे जीवन में आर्य भाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इसका प्रचार प्रसार किया.

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा समाज में सकारात्मक सुधार लाने हेतु किये गए प्रयासों को और आगे बढ़ाने की जरुरत है.

वही समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने देश के महान साधु संतों की जिंदगी से शिक्षा लें और समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाएं.

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