सर सीवी रमन ने पश्चिमी देशों के सामने साबित की भारतीय विज्ञान की सर्वोच्चता

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इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रम भारत की G20 अध्यक्षता और साइंस20 वर्टिकल के तत्वाधान में “वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञान” की थीम के तहत मनाया जा रहा है। सीएसआईआर-सीडीआरआई में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष,

एवं सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के विशिष्ट प्रोफेसर तथा सीएसआईआर के पूर्व महानिदेशक एवं डीएसआईआर, भारत सरकार के पूर्व सचिव, डॉ. शेखर सी. मांडे की गरिमामई उपस्थिति सम्पन्न हुआ।

उन्होंने “भारत के स्वतंत्रता संग्राम एवं उसके पश्चात वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों की भूमिका” विषय पर एक बहुत ही प्रेरक व्याख्यान दिया।

अपने सम्बोधन में उन्होंने विभिन्न उदाहरणों का उल्लेख किया कि कैसे सर सीवी रमन, सर पीसी रे, सर जेसी बोस, सर एम विश्वेश्वरैया जैसे भारतीय वैज्ञानिकों ने पश्चिमी दुनिया की औपनिवेशिक सोच से मुकाबला करते हुए भारतीय विज्ञान की गुणवत्ता एवं सर्वोच्चता साबित की।

अपने सम्बोधन में उन्होंने राष्ट्र के प्रति इन वैज्ञानिकों के समर्पण और भारतीय समाज के साथ-साथ भारतीय विज्ञान के उत्थान के लिए उनके योगदान का उल्लेख किया।

सभागार मे उपस्थित सभी श्रोतागण, भारतीय विज्ञान के गौरवशाली इतिहास को सुनकर चकित रह गए, विशेषकर विज्ञान के उस युग में जब भारतीय विज्ञान को पश्चिमी देशों से हीन एवं दोयम दर्जे का  समझा जाता था।

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