गंगा समितियों को जिलों में एसटीपी की करनी होगी नियमित जांच

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लखनऊ । गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के संकल्प के साथ जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मंगलवार को जिला गंगा समितियों के साथ बैठक की. सभी 75 जिलों की जिला गंगा समितियों के साथ जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की यह पहली बैठक है.

इसमें गंगा को प्रदूषित करने वाले कारकों को चिन्हित कर उन्हें दूर करने के उपायों पर चर्चा की गई. गंगा की स्वच्छता के लिए जन-जागरुकता अभियान व अर्थगंगा की अवधारणा को साकार करने पर भी चर्चा की गई. प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय जिला गंगा समितियां गठित हैं.

इसमें सदस्य संयोजक मंडल, वन अधिकारी होते हैं. जल शक्तिमंत्री ने मंगलवार को इन्हीं जिला गंगा समितियों के साथ बैठक की. इसमें गंगा और सहायक नदियों को प्रदूषित करने वाले कारकों को चिन्हित करने व प्रदूषण कम करने के प्रयासों पर चर्चा की गई.

जिला गंगा समितियों को हर माह दूसरे शुक्रवार को बैठक करनी होती है. बैठक में अर्थगंगा की अवधारणा को मूर्त रुप प्रदान करने के लिए सघन अभियान चलाए जाने पर भी चर्चा की गई.

जलशक्ति मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा नमामि गंगे नामक एकीकृत गंगा सरंक्षण मिशन के शुरूआत से ही उत्तर प्रदेश की प्रभावी भूमिका को स्वीकार किया गया है. उत्तर प्रदेश की जिला गंगा समितियों के सहयोग से प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढावा मिला है.

प्रदेश में गंगा डाल्फिन की संख्या में वृद्धि भी जल प्रदूषण कम होने की दिशा में सुखद संकेत हैं. प्रदेश में नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत कुल 55 परियोजनाएं 12,742 करोड़ रुपए की स्वीकृत हैं जिनमें 28 परियोजनाएं पूर्ण, 17 परियोजनाएं निर्माणाधीन तथा 10 परियोजनाएं निविदा की प्रक्रिया में हैं.

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उन्होंने कहा कि जल निकायों के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के साथ ही अतिक्रमण हटाने पर कार्य किया जाएं. सघन आबादी वाले क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम कराए जाएं. प्रतिदिन न्यूनतम पांच मिनट जल, नदी और सरोवर की सफाई के लिए मंथन एवं उसपर कार्य किया जाएं.

बरसात के पानी का संरक्षण एवं संभरण के प्रयास किए जाएं, बरसात के पानी को रोकने के प्रयास किए जाएं. इसके लिए जनपद स्तर पर जिला गंगा समितियॉं नियमित रूप से एसटीपी द्वारा उत्प्रवाहित जल के मामलों में परीक्षण करते रहें तथा मानक में विचलन पाये जाने पर तत्काल वास्तविक कारणों का पता करें.

इसी प्रकार समस्त जनपद विषेशकर जहां उद्योगों की संख्या ज्यादा हो, वहॉं नाले एवं नदियों के मीटिंग प्वाइन्ट के जल का भी परीक्षण करने तथा मानक के विपरीत होने पर कारणों का पता कर आवश्यक कार्यवाही करें. सभी जिला गंगा समितियॉं जन जागरूकता अभियान, संचालित करती रहें.

तथा माह के द्वितीय शुक्रवार को अनिवार्य रूप से बैठक करें तथा बैठक के उपरान्त उसी सप्ताह जीडीपीएमएस पोर्टल पर अपलोड करें. पोर्टल पर अपलोडिंग के बाद ही जिला गंगा समिति की गतिविधियॉं रेखांकित होती हैं.

जिला गंगा समिति के सदस्य गण, उनसे जुड़े पर्यावरण विशेषज्ञ आदि प्रदूषण से सम्बंधित जिन कारणों को चिन्हित करते हैं एवं स्थानीय स्तर पर इन चिन्हित कारकों को दूर करने के जो प्रयास चल रहे हैं उन्हें भी पोर्टल पर अवश्य अपलोड किया जाय.

उन्होंने कहा कि समस्त जिला गंगा समितियों से अपेक्षा है कि जनपद से जनमानस के अलावा औद्योगिक इकाईयों, अस्पताल, होटल व्यवसाय आदि को भी इस अभियान में अपने साथ जोड़े.

समस्त जिला गंगा समितियॉं अपने जन-जागरूकता अभियान के व्यय सम्बन्धी उपभोग प्रमाण-पत्र को समयबद्ध ढंग से भिजवा दें.

प्रधानमंत्री की अर्थगंगा की अवधारणा को फलीभूत करने के लिए पूरे प्रयास किये जायें. मुख्यमंत्री द्वारा गंगा तट पर प्राकृतिक कृषि को बढावा देने के लिए जोर दिया जा रहा है, जिससे समस्त जिला गंगा समतियों को विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है.

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