अन्ध-विश्वास नहीं, वैज्ञानिकता का आधार है हमारा ज्योतिष शास्त्र

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लखनऊ। राष्ट्रीय ज्योतिष एवं रुद्राक्ष अनुसंधान संस्थान उत्तर प्रदेश की ओर से भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के कलामंडपम कैसरबाग सभागार में इंटरनेशनल सनातन धर्म एंड अस्ट्रोलॉजिकल समिट 2023 में देश-दुनिया के ज्योतिषाचार्य शामिल हुए।

भातखंडे यूनिवर्सिटी सभागार में हुआ अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन

सम्मेलन संयोजक अनुसंधान संस्थान के पदाधिकारी ज्योतिषाचार्य पंकज त्रिवेदी ने बताया कि संस्थान देश-दुनिया के ज्योतिषियों के उत्थान के लिये कार्य करता है। संस्थान की ओर से ज्योतिष की दिशा-दशा सुधारने के लिये भारत और विदशों में आयोजन करती है।

परिचर्चा का मुख्य विषय वर्तमान गोचर के अनुसार बन रहा गुरु चांडाल योग रहा। संस्थान से दुनियाभर के ज्योतिषविज्ञानी जुड़े हैं। सम्मेलन का उद्घाटन डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने किया।

जानेमाने ज्योतिषाचार्य केए दुबे पद्मेश, डॉ इंदुप्रकाश, द हेग नीदरलैंड्स से बी रगोएनाथ, नेपाल से आचार्य महेंद्र मूंधड़ा, आर के चतुर्वेदी आईपीएस, उज्जैन से महामंडलेश्वर व्यसाचार्य, महामंडलेश्वर कमल किशोर, हॉलैंड से आशा रामकरन, अरुण चतुर्वेदी सहित अनेक ज्योतिषविद मौजूद रहे।

ज्योतिष आचार्य पंडित केए दुबे पद्मेश ने कहा कि ज्योतिष का क्षेत्र आज वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है और निरंतर समृद्ध हो रहा है। पहले गंडा-ताबीज, टोना- टोटका के लिए भी प्रचलित हो चला था। पढ़े-लिखे युवा इसे अपने करियर के रूप में अपना रहे हैं।

आर्थिक तरक्की हुई, मसलन अक्षय तृतीया को सोना-चांदी का कारोबार आज बढ़ा है। ज्योतिषाचार्य डॉ इंदु प्रकाश ने कहा कि ये अनंत विषय है। आज ज्योतिषी नासा को टच कर अपने मूल्यांकन में समानता को देखकर निष्कर्ष निकलता हैं। खगोलीय गणनाएं करते हैं।

आज पंचांग के पन्ने नहीं पलटे जाते। हम भी गूगल का सहारा लेते हैं। सम्मेलन में सम्मानित हुईं मेरठ की भूगर्भशास्त्री और ज्योतिषाचार्य ऋतु भारती ने कहा कि हमारा ज्योतिष शास्त्र अति प्राचीन और प्रामाणिक है। आज लोगों की अप्रोच ज्यादा साइंटिफिक हो गई है।

दुखद है, कि धर्म-अध्यात्म के क्षेत्र में सबसे अमूल्यवान होने के बावजूद ज्यादातर लोग अंध-विश्वास के शजर हैं। हम वैदिक ऋचाओं का अनुवाद नहीं कर पाए। जबकि विदेशों में वैज्ञानिकता के आधार पर खुद को साबित किया।

यूनिवर्सिटीज में ज्योतिर्विज्ञान के स्टूडेंट्स की भीड़ है। लेकिन आज सबसे ज्यादा जरूरत शोध और अनुसंधान की जरूरत है। विद्वानों को आगे आना होगा, सरकार को इस दिशा में विशेष पहल करनी होगी। युवा वैज्ञानिकता व अध्ययन को आधार बनाकर आगे बढ़ें। साइंटफिक एप्रोच से आगे बढ़ना होगा।

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सम्मेलन में सम्मानित हुईं गुरुग्राम से आईं ज्योतिषाचार्य गीता भार्गव ने युवाओं को संदेश दिया कि क्षमा, दया व संस्कार को अमृत माना गया है। इन चीजों की अलग वेल्यू है। हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी अंध-विश्वास के लिये कोई जगह नहीं है। सम्मेलन में विभिन्न प्रान्त के ज्योतिषविज्ञानी शामिल हुए।

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