गौतम बुद्ध नगर/नई दिल्ली। ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ गुरु काशी यूनिवर्सिटी भटिंडा का प्रतिनिधित्व कर रहे अर्जुन ने 10 मीटर राइफल पुरुष वर्ग में सिल्वर मेडल जीता है। अर्जुन खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार हिस्सा ले रहे हैं और पहली ही बार में उन्होंने निशानेबाजी में रजत पदक हासिल कर लिया है।
वैसे तो अर्जुन ने स्कूल में होने वाले खेलों में हिस्सा लेते रहे हैं और ढेर सारे मेडल भी जीते हैं लेकिन खेलो इंडिया गेम्स यूनिवर्सिटी में पदक जितना उनके लिए बहुत मायने रखता है।
निशानेबाजी की ओर उनका रुझान दशहरे में श्री राम के रावण दहन के लिए चलाए जाने वाले तीर धनुष को देख कर हुआ और फिर दशहरे के मेले में से ही उन्होंने तीर धनुष खरीद कर चलाना शुरू किया। अन्य सामान्य बच्चों की तरह अर्जुन भी प्लास्टिक के गन चलाते थे और यह शौक आज पैसन बन गया है।
मेरे शौक को पूरा करने के लिए पाप ने इस गेम्स के बारे जानकारी इकठा की और फिर मेरी निशानेबाजी की जर्नी शुरू हो गई और वर्ष 2011 से शुरू हुए यह सफर ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ तक पहुंच गया है।
अर्जुन बताते हैं कि उनके रोल मॉडल वह सभी हैं जो अच्छा खेलते हैं। कोई एक उनका रोल मॉडल नही है। हर एक खिलाड़ी की तरह इनकी भी ख्वाहिश ओलंपिक पदक जितना है, लेकिन उससे पहले वह एशियन गेम्स, वर्ल्ड चैंपियन आदि जितना चाहते हैं।
तीर कमान से शुरू हुआ शौक निशानेबाजी तक लाया
मूलतः पंजाब के रहने वाले अर्जुन अपनी निशानेबाजी को धार देने के लिए पिछले दो वर्षों से दिल्ली में ही रहकर शूटिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं। अर्जुन एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन कैरियर वह स्पोर्ट्स में ही बनाना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी एमबीए की पढ़ाई उनके खेल में भी योगदान दे सकता है।
नजर ओलंपिक पदक से पहले एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप पर
अर्जुन खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स को युवाओं के लिए बहुत जरूरी प्लेटफार्म के तौर पर देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि यह प्लेटफॉर्म भारतीय खेलो की दुनिया को बदल रख देगा।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स से इतने अच्छे अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे की हम पहले ऐसा सोच भी नही सकते थे। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजकों ने जिस तरह का इंतजाम किया है उससे खिलाड़ियों का हौसला बढ़ता है।
ये भी पढ़ें : मिडिल क्लास फैमिली के लिए निशानेबाजी एक्सपेंसिव गेम : आर्या राजेश