शालिनी ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में मनवाया प्रतिभा का लोहा

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लखनऊ। मैं खुशनसीब हूं कि मैं किसान परिवार में जन्मी हूं। लोग सोचते है कि किसान परिवार में जन्म लेने का मतलब होता है कि पूरी जिंदगी संघर्ष करना लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है कि मेरे पिता किसान जरूर है लेकिन बेटी के सपनों को उड़ान देने के लिए कभी भी पीछे नहीं हटे।

यूपी के अलीगढ़ की निवासी डिस्कस थ्रोअर शालिनी चौधरी के किसान पिता अपनी बेटी के सपनों को सच करने के लिए हर समय साथ खड़े रहे।

उत्तर प्रदेश की मेजबानी में हो रहे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 के अंतर्गत एथलेटिक्स प्रतियोगिता में बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल की शालिनी चौधरी ने शानदार प्रदर्शन कर अपना लोहा मनवाया है।

किसान परिवार में जन्मी शालिनी चौधरी की खुशी हो गई दोगुनी

यहां शालिनी चौधरी ने न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता बल्कि खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का नया रिकार्ड बनाकर सबको हतप्रभ कर दिया है। इससे उनकी खुशी दोगुनी हो गयी है क्योंकि उन्होंने यहां आने से पहले अपने पिता से वादा किया था कि उनकी लाड़ली सोना जीतकर ही लौटेंगी।

शालिनी ने गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज के सिंथेटिक एथलेटिक्स स्टेडियम में 50.60 मी.थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने अपने दूसरे ही प्रयास में यह सफलता हासिल कर ली थी। इसके साथ ही उन्होंने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम् (केआईयूजी) का नया रिकार्ड बना दिया।

इससे पिछला रिकार्ड 2022 में हुए केआईयूजी गेम्स में 47.07 मीटर थ्रो का था। यूपी के अलीगढ़ की निवासी शालिनी चौधरी का अब अगला लक्ष्य आगामी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए भारतीय टीम में जगह बनाना है।

हालांकि शालिनी इन खेलों के लिए क्वालीफाई कर चुकी है लेकिन अभी उन्हें भारतीय यूनिवर्सिटी टीम के ट्रायल में हिस्सा लेना है। शालिनी यहां से वापसी के बाद कड़ी मेहनत करेंगी ताकि वो भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल हो सके।

डिस्कस थ्रो में रिकार्ड थ्रो के साथ जीता स्वर्ण पदक

डिस्कस थ्रो के फलक पर पहुंचने के लिए पसीना बहा रही शालिनी ने इससे पहले हाल ही में रांची में हुए सीनियर फेडरेशन कप एथलेटिक्स टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था। हालांकि उन्हें इस बात का मलाल है कि वो एशियन गेम्स व एशियन चैंपियनशिप के क्वालीफाइंग मार्क से दूर रह गयी थी।

बनाया खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का नया रिकार्ड

दरअसल उन्होंने यहां 57 मी.थ्रो किया था जबकि क्वालीफाइंग मार्क 49.38 मी.था। हालांकि शालिनी इससे निराश नहीं है और कहती है कोई बात नहीं, अब मैं अगले एशियन चैंपियनशिप को लक्ष्य बना कर अभ्यास करुंगी ताकि अपने पापा से किया वादा पूरा कर सकूं।

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दरअसल शालिनी के पिता चंद्रवीर सिंह किसान है और उन्होंने अपनी बेटी को खेल में आगे बढ़ने के लिए पूरा प्रोत्साहन दिया। हालांकि लड़कियों के खेल में कॅरियर बनाने में कई बाधाएं है लेकिन शालिनी इस मायने में खुशनसीब है कि उन्हें अपने परिवार का पूरा सहयोग मिला और उसे कभी कोई कमी नहीं महसूस होने दी।

शालिनी चौधरी इस समय बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल में बीपीईएस द्वितीय वर्ष में पढ़ाई कर रही है। शालिनी ने रांची में हुए सीनियर फेडरेशन कप एथलेटिक्स टूर्नामेंट-2023 में स्वर्ण पदक जीता था।

उन्होंने मार्च में हुए आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी गेम्स-2023 में डिस्कस थ्रो में रजत और इसी साल हुई जोनल एथलेटिक्स मीट में रजत पदक जीता था। उन्होंने जूनियर फेडरेशन कप -2021 में कांस्य पदक जीता था।

शालिनी ने एथलेटिक्स में डिस्कस थ्रो अपनाने का ख्याल क्रोएशिया की दो बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता डिस्कस थ्रोअर सैंड्रा पैरकोविक को देखकर आया। शालिनी कहती है कि रिकार्ड छह बार की डिस्कस थ्रोअर चैंपियन सैंड्रा से प्रेरित होकर मैने अभ्यास की शुरुआत की।

शालिनी 2017 से मध्य प्रदेश की डीएसवाईडब्लू अकादमी में अभ्यास कर रही है, उन्होंने शुरुआत में वीरेंद्र सर के अंतर्गत अभ्यास किया था और अब संदीप सर के दिशा-निर्देशन में पसीना बहा रही है।

शालिनी का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है। उन्होंने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यहां हमें काफी बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई गई। इस आयोजन से यूनिवर्सिटी से निकलने वाले खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक बेहतरीन प्लेटफार्म मिल रहा है।

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