लखनऊ। तलवारबाजी का इतिहास काफी पुराना है और भारत का इससे खास रिश्ता है लेकिन मौजूदा दौर में तलवारबाजी को ‘फेंसिग ‘ के नाम से जाना जाता है। गुमनामी के अंधरे से निकलती हुई फेंसिग अब काफी मशहूर हो चुकी है। बतौर खेल तलवारबाजी को ‘ फेंसिग ‘ के तौर पर भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पहचान मिली है।
फेंसिंग में अपनी धाक जमा रही है यशकीरत
भारत में फेंसिग को पहचान दिग्गज कोच चरनजीत कौर ने दिलायी है और उन्होंने न जाने कितने खिलाड़ियों को तैयार किया है। इन्हीं में से एक है यशकीरत, जिन्होंने चरनजीत कौर के कहने पर फेंसिंग का दामन थामा था और आज दुनिया जीतने का हौसला दिखा रही है।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 में जीते दो रजत पदक
उत्तर प्रदेश की मेजबानी में आयोजित किए जा रहे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की इंजीनयरिंग फाइनल ईयर की स्टूडेंट्स 22 साल की यशकीरत कौर ने महिला ईपी व्यक्तिगत व महिला ईपी टीम के मुकाबलों में रजत पदक जीते।
वो महिला ईपी व्यक्तिगत के फाइनल में महज तीन अंकों के अंतर से से स्वर्ण पदक से चूक गयी लेकिन उन्होंने कहा कि मेरे लिए ये रजत पदक भी बड़ी उपलब्धि है।
एथलेटिक्स व स्वीमिंग को छोड़ फेंसिग में बनाया अपना करियर
यशकीरत के अनुसार यहां मिली सफलता ने मेरा हौसला बढ़ा दिया है और मैं अब दोगुने हौसले से अपने खेल को बढ़ाएंगी। यशकीरत यहां से जाने के बाद एशियन गेम्स के लिए आयोजित भारतीय टीम के ट्रायल में हिस्सा लेंगी।
कामनवेल्थ जूनियर फेंसिंग चैंपियनशिप-2018 की कांस्य पदक विजेता यशकीरत ने राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में अभी तक 40 से ज्यादा पदक जीते है। यशकीरत ने इससे पहले ओडिशा में हुए प्रथम खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक जीता था।
हालांकि उनका खेलों में कोई खास रूझान नहीं था। उन्होंने स्कूल के दिनों में सेक्टर 10 गर्वनमेंट स्कूल, चंडीगढ़ में एथलेटिक्स व स्वीमिंग की अभ्यास की साल 2012 में शुरुआत की थी।
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अभी उन्हें कुछ ही दिन हुए थे कि वहां से गुजर रही माहिर फेंसिंग कोच चरनजीत कौर की नजर उन पर पड़ी और उन्हें लगा कि अगर ये लड़की फेसिंग करेगी तो लंबाई के चलते उसको खासा एडवांटेज मिलेगा।
यशकीरत ने 2018 में कॉमनवेल्थ जूनियर फेंसिंग चैंपियनशिप-2018 में महिला ईपी व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था और फेंसिंग जूनियर वर्ल्ड कप-2018 में उनका नौवां स्थान रहा था।
उन्होंने जूनियर नेशनल 2020 और सीनियर नेशनल 2021 में स्वर्ण पदक जीते है और गुजरात में आयोजित नेशनल गेम्स-2022 में ईपी व्यक्तिगत वर्ग का स्वर्ण पदक भी जीता है। यशकीरत चंडीगढ़ की टीम से खेलते हुए राष्ट्रीय स्तर पर 40 से अधिक पदक जीत चुकी है जिसमें 20 तो सिर्फ गोल्ड है।
वो लगातार तीन साल (2017 से 2019) तक नेशनल चैंपियन भी रही है। उनके परिवार में भाई इंदर प्रताप भी फेंसिंग के इंटरनेशनल प्लेयर है। हालांकि फेंसिंग बहुत महंगा खेल होता है और इसमें लगने वाली खेल सामग्री और कोचिंग का खर्चा ही अच्छा-खासा होता है लेकिन इसका यशकीरत के हौसले पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
यशकीरत कहती है कि हर खिलाड़ी के पास कम से कम दो वेपन होने चाहिए ताकि उसे फेंसिंग के अभ्यास व खेलने में कोई दिक्कत न हो। यशकीरत इस मामले में खुशनसीब है कि उनको अपने मम्मी-पापा का पूरा सहयोग मिला है।
यशकीरत अब आगामी एशियन गेम्स के ट्रायल पर अपना फोकस कर रही और उनका इरादा इन खेलों में भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का है। उनका कहना है कि मेरा सपना ओलंपिक में खेलना है लेकिन अभी इसके लिए मुझे लंबा सफर तय करना है।
यशकीरत ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं की तारीफ करते हुए कहा कि यहां मिली सुविधाओं से यूनिवर्सिटी से आने वाले खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा है। यहां हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उच्चस्तरीय सुविधाएं मिली है और काफी बेहतर माहौल मिला है।