नहीं डरा पाई ‘इनसिडियस-द रेड डोर’, फिल्म की स्क्रिप्ट काफी कमजोर

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फोटो साभार : गूगल

आज इनसिडियस फ्रैंचाइज़ी की नई फिल्म ‘इनसिडियस: द रेड डोर’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म की कहानी इसके शुरुआती दो पार्ट्स के बाद आगे बढ़ती है। ये कहानी लैम्बर्ट परिवार की है, जहां शुरू में जॉश ने काफी बुरी शक्तियों का सामना किया है, एक समय पर उसके बच्चों को लगने लगा था कि पिता ही उन्हें मारना चाहते हैं।

डैल्टन बड़ा हो चुका है और कॉलेज पहुंच गया है, जहां वो पेटिंग के दौरान रेड डोर (लाल दरवाजा) बनाता है और उसके बाद से भूतिया घटनाएं शुरू हो जाती हैं। चूंकि सभी की कुछ समय की याददाश्त गायब है तो इन में से किसी को कुछ याद नहीं आता है, धीरे धीरे चीजें साफ होती हैं।

ऐसे में जॉश, डेल्टन, सिंक्लेयर क्या उस रेड डोर को बंद कर पाते हैं? या उस में ही फंस जाते हैं? क्या बुरी शक्तियां हमारी दुनिया में आ जाती हैं? इन सब सवालों के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। ऐसे में जॉश, डैल्टन और फॉस्टर को सब कुछ भुलवा दिया जाता है। लेकिन धीरे धीरे वहीं सब वापस आता है।

ये फिल्म ‘इनसिडियस’ लवर्स को निराश करेगी। फिल्म एक तरफ जहां स्क्रिप्टिंग में काफी कमजोर दिखती है तो दूसरी तरफ तकनीकी तौर पर भी ढीली दिखती है, जिसकी उम्मीद बिलकुल नहीं थी। पूरी फिल्म में एक भी सीन ऐसा नहीं आता है, जिसे देखकर रोमांच पैदा हो कि अब आगे क्या होगा, या डर लगे।

फिल्म के शॉट्स, सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक तक, सब कुछ पुराना और देखा हुआ सा लगता है। फिल्म शुरू से ही स्लो चलती है और आखिरी के कुछ मिनट्स में तेजी पकड़ती है, क्लाइमैक्स में भी वो फील नहीं आता है, जो सीरीज की पुरानी फिल्मों में रहता था। फिल्म की अच्छी बात ये है कि इसे जबरन खींचने की कोशिश नहीं हुई, हालांकि इसके बाद भी ये काफी धीमी लगती है।

पैट्रिक विल्सन एक दमदार अभिनेता हैं और फिर से उन्होंने बढ़िया काम किया है। वो इस किरदार को कई बार अदा कर चुके हैं और ऐसे में उनका इसके साथ कनेक्शन और परफेक्शन दिखता है। पूरी फिल्म में उनकी एक्टिंग कहीं चूकती नहीं दिखती है।

टाइ सिम्प्किंस और सिंक्लेयर डेनियल ने भी उनका साथ बखूबी दिखा है। इन तीनों के अलावा रोज ब्रायन, एंड्रयू एस्टोर, और हियाम अब्बास आदि का भी काम बढ़िया है और अपने अपने किरदारों में जमे दिखते हैं। बात एक्टिंग के अलावा डायरेक्शन की करें तो इस फिल्म का डायरेक्शन भी पैट्रिक ने किया है और फिल्म देखकर बोला जा सकता है कि वो जितने अच्छे एक्टर है, उतने अच्छे डायरेक्टर साबित नहीं होते हैं।

बतौर डायरेक्टर ये फिल्म काफी हलकी साबित होती है। बात अगर टॉप हॉरर फिल्मों की करें तो इनसिडियस के बिना लिस्ट अधूरी कहलाती है, ‘इनसिडियस: द रेड डोर’ इस मामले में काफी फीकी साबित होती है। फिल्म न तो डराती है और न ही उसकी कहानी आपको एक्साइटिड करती है।

ये बोलना गलत नहीं होगा कि नाम के अलावा पूरी फिल्म में ‘इनसिडियस’ फ्रैंचाइजी का फील ही नहीं आता है। कुल मिलाकर आप इस फिल्म के लिए थिएटर जाकर पैसे न खर्च करें तो बेहतर होगा।

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