विमर्श में उभरा हबीब और परसाई का सृजन, अनूपम मणि हुए सम्मानित

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लखनऊ। भारतीय जन नाट्य संघ ‘इप्टा’ के ‘रंग हो हबीब का, व्यंग्य परसाई का…’ दो दिवसीय फेस्टिवल में लखनऊ के व्यंग्यकार ‘अनूप मणि त्रिपाठी को हरिशंकर परसाई स्मृति इप्टा व्यंग्य सम्मान’ से नवाजा गया। फेस्टिवल हबीब तनवीर और हरिशंकर परसाई के जन्म शताब्दी वर्ष पर आयोजित हुआ था।

इप्टा का दो दिवसीय फेस्टिवल

कार्यक्रम निशातगंज पेपरमिल कालोनी स्थित कैफ़ी आज़मी अकादमी में हुआ। दूसरे दिन की शुरुआत व्यंग्यकार अनूप मणि त्रिपाठी को इतिहासकार प्रो नदीम हसनैन, कवि नरेश सक्सेना, आलोचक वीरेंद्र यादव व इप्टा के राकेश ने सम्मानित कर की।

इसके बाद रंग पुरोधा हबीब तनवीर के रंगमंच की बारीकियों, उनकी नाट्य यात्रा की वक्ताओं ने चर्चा की।  हरिशंकर परसाई के व्यंग्य की बारीकियों को याद करने की यह शाम इसलिए भी यादगार हो गई कि इस दौर में हरिशंकर परसाई ही हैं, जो बार बार याद आते हैं। उनकी हर रचना आज एक बार फिर से मौजू हो गई है।

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हरिशंकर परसाई और उनकी रचनाओं को समर्पित चर्चा का उद्घाटन वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और  लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो रूप रेखा वर्मा ने किया। परसाई जी की रचनाओं की पैनी धार को याद करते हुए उन्होंने आज के दौर में परसाई होने के महत्व को रेखांकित किया।

उसके बाद चार व्यंग्यकारों राजीव ध्यानी, अनूप मणि त्रिपाठी, राजीव निगम और हिमांशु राय ने अपनी व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। आज के दौर के विद्रूप को व्यक्त करती इन व्यंग्य रचनाओं में समय जा सच भी पूरी शिद्दत से उभरा और विद्रूप भी।

व्यंग्य रचनाओं के बाद “दमन के दौर में व्यंग्य” सत्र ए आयोजन हुआ जिसमें वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना, वरिष्ठ आलोचक वीरेन्द्र यादव, प्रोफेसर नदीम हसनैन और सीमा राजौरिया के पैनल ने व्यंग्य विधा और आज के दौर पर विस्तार से बात की। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय जन नाट्य संघ और कैफी आजमी अकादमी ने किया।

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