लखनऊ। श्री बंदी माता अखाड़ा समिति श्री महंत देवेंद्र पूरी ट्रस्ट की ओर से डालीगंज के प्राचीन बंदी माता मंदिर में श्री सप्तचण्डी महायज्ञ, श्रीमद भागवत कथा, रासलीला, संत सम्मेलन और मानस समारोह का आरंभ हुआ।
डालीगंज मंदिर परिसर में शुरू हुए अनुष्ठान
गुरुवार को ब्रह्मलीन श्री महंत कपिलेश्वर पुरी जी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर आयेजित इस सात दिवसीय महानुष्ठान की शुरुआत भव्य कलश यात्रा से हुई। मन्दिर परिसर से साधु, संतों और महंतो के सानिध्य में आरंभ हुई कलश यात्रा की अगुवाई पूर्व पार्षद रेखा रोशनी ने श्रीमद्भागवत को पूरी यात्रा में शीश पर विराज कर की।
यात्रा में सैकड़ों महिलाएं, नागरिक, बुजुर्ग, साधु-संत गाजे-बाजे के साथ निकले। यात्रा में शामिल भगवान शिव, राधा-कृष्ण, हनुमान, सीताराम की दिव्य आलौकिक झांकियों के जगह-जगह श्रद्धालुओं ने दर्शन कर मंगलकामनाएं कीं।
यात्रा डालीगंज से बाबूगंज, अयोध्या मार्ग, मनकामेश्वर मन्दिर, टैगोर मार्ग होते हुए गोमती नदी तट स्थित झूलेलाल पार्क पहुंचीं। जहां महिला श्रद्धालुओं ने कलश में आदिगंगा गोमती का जल भरा। वापस मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार और शंख की ध्वनियों के बीच कलश स्थापना हुई।
आचार्य पं प्रदीप मिश्र व अनेक वैदिक ब्राह्मणों के सानिध्य में सप्तचण्डी यज्ञ का आरंभ हुआ। पूजन-अर्चन आरती के साथ श्रीमद्भागवत कथा का आरंभ हुआ। कथा सुनाते हुए वृन्दावन धाम की श्रीमद्भगवद व्यास रोली शास्त्री ने श्रीमद्भागवत की महिमा का बखान किया।
उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में अमृतमयी श्रीमद्भगवत कथा का सर्वप्रथम श्रवण अट्ठासी हजार साधु-संतों ने नैमिषधाम में किया था। शाम को समारोह अध्यक्ष क्षेत्रीय विधायक डॉ नीरज बोरा ने दीप प्रज्जवलन कर सात दिवसीय महानुष्ठान का शुभारम्भ किया।
इस दौरान मुख्य संयोजक पार्षद रणजीत सिंह, पूर्व पार्षद रेखा रोशनी, बंदीमाता अखाड़ा समिति के महंत मनोहर पुरी, महंत पूजा गिरि सहित अन्य मौजूद रहे। मथुरा से आये कलाकर नित्यानंद की मंडली के कलाकारों ने आध्यात्मिक गीत-संगीत में ढली श्रीकृष्ण जन्म सहित अन्य प्रसंगों का भावपूर्ण मंचन किया।
ये भी पढ़ें : निरंतर जारी रहता है रावणत्व और रामत्व के बीच होने वाला युद्ध
महंत मनोजपुरी, बंदीमाता मंदिर महाराज रोशनपुरी, जूना अखाड़ा के थानापुरी महंत राजपुरी, सप्तचण्डी यज्ञाचार्य महंत शिवानन्द पुरी व आचार्य प्रदीप मिश्र सहित अनेक ब्राह्मणों के सानिध्य में अरणी अग्नि प्रज्ज्वलित कर मंत्रोच्चार के बीच यज्ञ हुआ।