सीडीआरआई व आरएसी की पहल, विज्ञान शिक्षकों को नवाचारी तकनीकों का प्रशिक्षण  

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लखनऊ: “सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ (सीडीआरआई), एवं द रॉयल सोसायटी ऑफ केमिस्ट्री (आरएससी), यूके (भारतीय चैप्टर), के सहयोग से दो दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य विज्ञान शिक्षकों के शिक्षण विधियों को ऊंचाईयों तक पहुंचाना था।

सीडीआरआई में दो दिवसीय विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

यह कार्यक्रम सीडीआरआई लखनऊ के ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित हुआ जहां लगभग 15 स्कूलों के 40 से अधिक अध्यापकों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य विज्ञान शिक्षकों को नवाचारी तकनीकों से सुसज्जित करना था, जो शिक्षण प्रक्रिया को समझने में ही नहीं बल्कि छात्रों के लिए रुचिकर तथा प्रेरणादायक बनाती है।

इस कार्यशाला मे दृश्यपूर्ण एवं सरल समझने योग्य आसान शिक्षण विधियों को महत्व दिया गया, जो प्रभावी शिक्षण अनुभवों को सुविधाजनक तथा बेहतर बनाने में मदद करता है।

सीडीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव ने द रॉयल सोसायटी ऑफ केमिस्ट्री, यूके (भारतीय अध्याय) की रिसोर्स पर्सन, सुश्री करीमा अंजुम का एवं अन्य प्रतिभागियों का स्वागत किया साथ ही उन्होंने सीएसआईआर-जिज्ञासा एवं द रॉयल सोसायटी ऑफ केमिस्ट्री, यूके (भारतीय अध्याय) के सहयोग के बारे में बताया।

उन्होने इस बात पर ज़ोर दिया की हमे पारंपरिक शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने एवं बदलने की आवश्यकता है। उन्होने प्रतिभागियों से आग्रह किया की वे इस कार्यशाला में सक्रिय होकर भाग लें तथा इस कार्यशाला का अधिक से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करें।

कार्यक्रम के पहले दिन, सुश्री करीमा अंजुम ने यूसुफ हामिद प्रेरणादायक विज्ञान कार्यक्रम (वाईएचआईएसपी) के प्रतिष्ठित बैनर के तहत आयोजित की जा रही इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला।

आधुनिक शैक्षिक उपकरणों से शिक्षकों को सुसज्जित करती नवाचारी कार्यशाला

यह पहल विज्ञान शिक्षकों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने की परिकल्पना करती है, जो उन्हें जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को प्रभावी एवं सरल ढंग से वितरित करने तथा समझाने के लिए नई तकनीकों से लैस करने पर ध्यान केंद्रित करती है। उन्होंने विषय-विशिष्ट शिक्षाशास्त्र के महत्व पर भी जोर दिया।

उन्होंने प्रतिभागियों को शो मी बोर्ड, फ्लैशकार्ड, वर्ड वॉल जैसे नवीन शिक्षण उपकरणों की एक श्रृंखला से परिचित कराया, जो शिक्षकों को गतिशील और अधिक इंटरैक्टिव शिक्षण वातावरण बनाने में सक्षम बनाता है जिससे विषय के प्रति समझ एवं जुड़ाव को बढ़ावा मिलता है।

कार्यशाला के दूसरे दिन शिक्षा में प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर चर्चा हुई। सुश्री अंजुम ने विभिन्न एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) संचालित उपकरणों का प्रदर्शन किया जिनका उपयोग शिक्षक कक्षाओं को मनोरंजक बनाने के लिए कर सकते हैं।

प्रदर्शित किए गए टूल में वर्ड वॉल, गूगल शीट्स, फ़्लिपिटी, टार्सिया मेकर, पैडलेट तथा जैमबोर्ड आदि शामिल हैं। सुश्री अंजुम ने बताया कि कैसे इन लर्निंग टूल्स के माध्यम से विज्ञान के पाठों में सहजता से एकीकृत किया जा सकता है, जिससे इंटरैक्टिव गतिविधियों और प्रश्न-आधारित शिक्षा को सुगम बनाया जा सके।

प्रतिभागियों को यह भी दिखाया गया कि सरल और कम लागत वाली वस्तुओं का उपयोग करके छोटे-छोटे प्रयोगो को किया जा सकता है।

कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों ने सहयोगात्मक शिक्षण के माहौल को बढ़ावा देते हुए इंटरैक्टिव सत्रों एवं प्रतियोगिताओ में भाग लिया। छात्रों के बीच बेहतर समझ एवं धारणा को बढ़ावा देने वाली शिक्षण विधियों को अपनाने पर जोर दिया गया।

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व्यावहारिक प्रदर्शनों और आकर्षक चर्चाओं के माध्यम से, शिक्षकों को सीखने की प्रक्रिया को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए रचनात्मक रणनीतियों की एक श्रृंखला से अवगत कराया गया।

कार्यशाला ने प्रतिभागियों को पारंपरिक शिक्षण विधियों को आधुनिक, प्रौद्योगिकी-संचालित शैक्षणिक दृष्टिकोण में बदलने के लिए व्यावहारिक अनुभव एवं अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए एक इंटरैक्टिव मंच प्रदान किया।

कार्यक्रम का समापन सुश्री करीमा अंजुम के विज्ञान शिक्षा को बढ़ाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सम्मानित करते हुए उनके अभिनंदन एवं सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ हुआ।

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