लखनऊ। भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में केला उत्पादन एवं मूल्यसंवर्धन में प्रोद्योगिक नवाचार तथा केले के फूजेरीउम विल्ट रोग का एकीकृत प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सं संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला
आईसीएआर- एनआरसी, बनाना, त्रिचूरापल्ली, भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड, जलगांव द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन मनोज कुमार सिंह (कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश) ने दीप प्रज्वलित करके किया।
इस संगोष्ठी में बाराबंकी, गाजीपुर, कासगंज, सीतापुर, लखनऊ, बहराइच, हरदोई, देवरिया, सिद्धार्थनगर, कानपुर तथा उन्नाव जिलों से आए लगभग 300 केला उत्पादक महिला/पुरुष किसानो/उद्यमिओ ने हिस्सा लिया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि ने टिशू कल्चर विधि से तैयार केला पौध उपलब्ध कराने हेतु भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान संस्थान, त्रिचुरापल्ली एवं जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड, जलगांव को मिल कर उत्तर प्रदेश में कार्य करने का आह्वान किया।
केला उत्पादन एवं मूल्यसंवर्धन में प्रोद्योगिक नवाचार, फूजेरीउम विल्ट रोग के प्रबंधन पर विमर्श
इससे केला उत्पादक किसानो को सस्ती दरों पर केले की गुणवत्तायुक्त पौध उपलब्ध हो सकेगी और उनकी आमदनी में भी इजाफा हो सकेगा। उन्होंने किसानो को केले की खेती में फर्टिगेसन अपनाने की सलाह दी।
गोष्ठी को सम्मानित अतिथिगण डा.बीबी पटेल (सहायक महानिदेशक, फल एवं रोपण फसलें), आईसीएआर, नई दिल्ली), डा.टी.दामोदरन (निदेशक, भाकृअनुप- केंद्रीय उपोषण बागवानी अनुसंधान संस्थान, लखनऊ) डॉ.केबी पाटिल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड, जलगांव) प्रो. एचबी सिंह (अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य पर्यावरण मूल्यांकन समिति) ने भी संबोधित किया।
डॉ. दिनेश सिंह (परियोजना निदेशक (गन्ना) तथा कार्यकारी निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ) ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया।
डॉ.केबी पाटिल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड, जलगांव) ने केले की पौध को जुलाई माह में प्लांटिंग करने की सलाह दिया जिससे स्वस्थ एवं रोगमुक्त फसल के साथ-साथ अच्छा उत्पादन और आमदनी भी प्राप्त हो सके।
ये भी पढ़ें : एफपीओ के गठन से बढ़ेगी किसानों की जोखिम लेने की शक्ति
प्रो.एचबी सिंह (अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य पर्यावरण एवं मूल्यांकन समिति) ने बिश्वसनीय बायोएजेंट एवं बायोफर्टिलाइजर की उपलाभध्ता पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय कार्यशाला में केले के उत्पादन तथा मूल्यबर्धन में नवीन तकनीकी विकास तथा केले में फूजेरियम बिल्ट बीमारी के एकीकृत प्रबंधन पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.आर सेल्वराजन (निदेशक, आईसीएआर- एनआरसी, बनाना, त्रिचूरापल्ली) ने किया। डॉ.दिनेश सिंह (परियोजना समन्वयक, गन्ना) ने भी किसानों को संबोधित किया। अंत में डॉ. दिनेश सिंह (अध्यक्ष, फसल सुरक्षा, भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, )लखनऊ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।