तेज हुई उत्तर प्रदेश में नए विधान भवन के निर्माण की कवायद

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साभार : गूगल

उत्तर प्रदेश में नए विधान भवन के निर्माण की कवायद तेज हो गई है। योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में इस अहम परियोजना को पूरा करना चाहती है। इसको लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रविवार शाम को मुख्यमंत्री के सामने नए विधान भवन की संभावनाओं को लेकर शासन के उच्च अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन दिया।

नए विधान भवन का निर्माण कम से कम दो सौ एकड़ के क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है। देश की नई संसद की तर्ज पर प्रदेश का विधान भवन भी भव्य और अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न होगा।

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कल शाम हुए बैठक में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव गृह एवं सूचना संजय प्रसाद के साथ ही लोक निर्माण विभाग, राज्य संपत्ति, आवास विकास परिषद और एलडीए से जुड़े अधिकारी मौजूद थे।

जानकारी के अनुसार, बैठक में मौजूदा विधान भवन, उसके बगल में स्थित बापू भवन सचिवालय और दारूलशफा आदि स्थलों को मिलाकर एक समेकित विधानभवन बनाए जाने के संभावनाओं पर चर्चा हुई।

इससे पहले हुई बैठक में दारूलशफा और आसपास के क्षेत्र में नए विधान भवन को बनाने का प्रस्ताव था, जिसे सीएम योगी ने खारिज कर दिया।

साभार : गूगल

इस स्थान की मिट्टी की जांच भी करवाई गई थी। दारूलशफा और आसपास के क्षेत्र में नए विधान भवन बनाने में सबसे बड़ा पेंच ये है कि वहां कई भवनों को ध्वस्त करना पड़ेगा और यातायात की समस्या भी आएगी।

सीएम योगी ने बैठक में अधिकारियों को खुले स्थान पर जमीन तलाशने का निर्देश दिया है ताकि पार्किंग और ट्रैफिक जाम जैसी समस्या न हो। जमीन चिन्हित करने की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण को सौंपी गई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नए विधान भवन के लिए चिड़ियाघर की जमीन पर भी सरकार की नजर है। इस जमीन की खासियत ये है कि यह शहर के बीच और पुराने विधान भवन के साथ ही मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के पास भी है।

सरकार लखनऊ चिड़ियाघर को कुकरैल वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने की योजना पर काम कर रही है। इसके बाद यह जमीन खाली जाएगी। नए विधान भवन के निर्माण के लिए कुछ और स्थानों के विकल्प भी सुझाए गए हैं।

इनमें फन रिपब्लिक मॉल के पीछे एलडीए की जमीन के अलावा सुल्तानपुर रोड और वृंदावन योजना के खाली क्षेत्र शामिल हैं।

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आबादी के लिहाज से देश की सबसे बड़ा सूबा है। बड़ी आबादी की वजह से देश की सबसे बड़ी विधानसभा भी यूपी में ही है। जहां 400 से अधिक विधायक और 100 एमएलसी बैठते हैं।

दशकों पुराना विधान भवन अबकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। आने वाले समय में आबादी के लिहाज से सीटों की संख्या और बढ़ेगी। ऐसे में वर्तमान का विधानसभवन जरूरतों के हिसाब से काफी छोटा पड़ रहा है। मौजूदा भवन का उद्घाटन साल 1928 में हुआ था।

योगी सरकार जल्द से जल्द नए विधान भवन के लिए जमीन को चिन्हित कर लेना चाहती है। ताकि आगामी 25 दिसंबर को दिवंगत पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर इसकी आधारशिला रखी जा सके।

योगी सरकार 18वीं विधानसभा का कम से कम एक सत्र नए विधान भवन में कराना चाहती है। एक अनुमान के अनुसार, विधानमंडल के नए भवन के निर्माण पर 3 हजार करोड़ रूपये की लागत आने की उम्मीद है। 2023-24 के आम बजट में टोकन के तौर पर 50 करोड़ रूपये का प्रावधान भी किया जा चुका है।

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