एक्टर विशाल के आरोपों पर सेंसर बोर्ड ने सफाई में बोली ये बात

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साभार : गूगल

सेंसर बोर्ड ने तमिल अभिनेता विशाल के रिश्वत वाले आरोपों पर सफाई देते हुए स्टेटमेंट जारी कर बोला कि विशाल से जिन लोगों ने पैसे लिए उनके बोर्ड से कोई लेना-देना नहीं हैं। वे थर्ड पार्टी के लोग हैं, बोर्ड ऐसे लोगों को मान्यता नहीं देता।

बोर्ड ने बोला, ‘हम इस पूरे मामले की छानबीन कर रहे हैं। हम मामले की जड़ तक जाकर दोषियों को ढूंढ निकालेंगे। अगर कोई बिचौलिया या एजेंट पैसे ऐंठने की कोशिश करे तो फिल्म मेकर्स हेल्प डेस्क की मदद से उसकी शिकायत कर सकते हैं।

साभार : सोशल मीडिया

सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी ने कहा कि एक जिम्मेदार संस्था होने के नाते सीबीएफसी यह सुनिश्चित करती है कि फिल्म सर्टिफिकेशन का प्रोसेस पूरी तरह पारदर्शी और ईमानदारी पूर्वक हो।

साभार : गूगल (सेंसर बोर्ड चेयरमैन प्रसून जोशी)

यह मामला विशाल की फिल्म मार्क एंटनी से संबंधित है। उनका आरोप है कि फिल्म के हिंदी वर्जन को पास करवाने के लिए उन्हें सेंसर बोर्ड में बैठे अधिकारियों को 6.5 लाख रुपए की रिश्वत देनी पड़ी।

रिश्वत वाली बात सामने आने पर सेंसर बोर्ड की काफी आलोचना हो रही है। बोर्ड ने एक स्टेटमेंट जारी कर इन आरोपों पर सफाई दी है।

बोर्ड ने बोला, ‘हम पहले से बोर्ड के अंदर डिजिटली सब काम-काज करते आए हैं। अब ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। हम सभी फिल्म मेकर्स से भी अपील करते हैं कि वे अधिकतर डिजिटल प्रोसेस ही फॉलो करें।

बोर्ड की ओर से बोला गया, ‘फिल्म सर्टिफिकेशन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। इसके बीच में किसी बिचौलिए या एजेंट से संपर्क न करें। हम ऐसे बिचौलियों को मान्यता नहीं देते हैं। पकड़े जाने पर इनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होगी।

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सभी फिल्म मेकर्स से आग्रह है कि वे एक तय समय में फिल्म सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन करें। अंतिम वक्त में आकर सर्टिफिकेट के लिए जद्दोजहद न करें। हर साल तकरीबन 12 से 18 हजार फिल्मों को सर्टिफिकेट दिया जाता है।

हमें हर फिल्म देखने में समय लगता है। कभी-कभी हमारे ऊपर भी प्रोड्यूसर्स का प्रेशर होता है। इसके बावजूद हम एक-एक फिल्मों को देख कर पूरी ईमानदारी के साथ उन्हें सर्टिफिकेट देते हैं।

सेंसर बोर्ड ने थर्ड पार्टी और बिचौलियों की संलिप्तता को कम करने के लिए कुछ नए प्रोटोकॉल बनाए हैं..

फिल्म के लिए दाखिल होने वाले सारे डॉक्यूमेंट्स ऑनलाइन मोड में होंगे। सारे डॉक्यूमेंट्स ऑनलाइन ही अपलोड किए जाएंगे। फिजिकली कोई पेपर सबमिट नहीं किया जाएगा।

ईमेल से फिजिकल डॉक्यूमेंट्स का आदान-प्रदान किया जाएगा। जो भी अभ्यर्थी होगा, उसके पास डॉक्यूमेंट की कॉपी पहुंच जाएगी। किसी शख्स के हाथों में पेपर्स न दिए जाएंगे, न लिए जाएंगे।

सेंसर बोर्ड की ओर से एक मेल आईडी पब्लिक की जाएगी। अगर कोई एजेंट अपने आप को सेंसर बोर्ड का मेंबर बताकर संपर्क साधने की कोशिश करे तो आप बिना देरी किए उसकी शिकायत करेंगे।

इस पूरे स्टेटमेंट में सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी ने बोला कि, ‘मैंने चेयरमैन रहते दो साल का कार्यकाल पूरा किया है।

इन दो सालों में मैंने पूरी पारदर्शिता और सूझबूझ के साथ काम किया है। जो भी मामले आते हैं, उसे पूरी संवेदनशीलता और ईमानदारी के साथ देखा जाता है। हम बोर्ड के अंदर एक बैलेंस्ड माहौल बनाकर रखते हैं। आप सभी का फीडबैक भी चाहते हैं।

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