पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने के लिए सीडीआरआई की बड़ी पहल

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लखनऊ : सीएसआईआर – केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने “जिज्ञासा” के तहत अपने छात्र वैज्ञानिक कनेक्ट कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, बड़े उत्साह और ज्ञान साझा करने की भावना के साथ आयुर्वेद दिवस समारोह की शुरुआत की।

आयुर्वेद दिवस समारोह “एक स्वास्थ्य हेतु आयुर्वेद” एवं “हर दिन सभी के लिए आयुर्वेद” की थीम पर केन्द्रित 

इस विशेष कार्यक्रम में आयुर्वेद संकाय आरोग्यधाम गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, गोरखपुर के 100 छात्र एवं 8 प्रोफेसर्स ने भाग लिया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव ने कार्यक्रम में छात्रों एवं फ़ैकल्टीज का गर्मजोशी से स्वागत किया।

उन्होंने भारतीय प्राचीन वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को इन दिनों विश्व स्तर पर पहचान मिल रही है।

उन्होंने एक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद थीम के साथ आयुर्वेद दिवस मनाने के महत्व की जानकारी दी। सीएसआईआर-सीडीआरआई के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे एक अणु को औषधि के रूप में परिवर्तित किया जाता है और कैसे विभिन्न वैज्ञानिक एक दवा बनाने के लिए एक टीम के रूप में काम करते हैं।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि युवा छात्र कैसे सीएसआईआर-सीडीआरआई के साथ अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं। कार्यक्रम के अगले चरण में, छात्रों को वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रयोगशालाओं के भ्रमण का अवसर प्रदान किया गया, जहां उन्होंने डॉ. विनीता त्रिपाठी के साथ बातचीत की।

डॉ. विनीता ने पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के बीच के पारस्परिक संबंध पर गहन चर्चा की।

उन्होंने औषधीय पौधों के क्षेत्र में सीडीआरआई के प्रयासों के बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीडीआरआई ने प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधार बनाकर प्राकृतिक उत्पादों से प्राप्त कई दवाएं सफलतापूर्वक विकसित की हैं।

उल्लेखनीय उदाहरणों में ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए पालक के पत्तों से बना “ज्वाइंट फ्रेश” शामिल है; स्मृति, एकाग्रता और सीखने में सहायता के लिए ब्राह्मी से प्राप्त “कीनमाइंड”; और 14 दिनों के भीतर हड्डियों और उपास्थि को जोड़ने वाली औषधि, “रीयूनियन” जो कि शीशम के पत्तों मेन उपस्थित रसायनों से बनाई गई है के बारे में जानकारी दी।

इसके अतिरिक्त, डॉ. डी.के. मिश्रा ने छात्रों को हर्बेरियम अनोखी की दुनिया के बारे में मार्गदर्शन किया – जो की संरक्षित पौधों के नमूनों का एक संग्रह होता है। बातचीत में, डॉ. मिश्रा ने विभिन्न प्रकार के हर्बेरियम और वैज्ञानिक अनुसंधान, पौधों की पहचान और वनस्पति विरासत के संरक्षण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया।

औषधीय प्रक्रिया रसायन विज्ञान प्रभाग में, इंजीनियर रणवीर सिंह ने दवाओं के विकास में पौधों पर आधारित यौगिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, पौधों से मूल्यवान अणुओं को निकालने में शामिल चरणों को स्पष्ट किया।

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प्रतिभागियों को प्रयोगशाला जन्तु सुविधा के दौरे के दौरान प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजदीप गुहा के साथ बातचीत करने का भी अवसर मिला। तकनीकी अधिकारी चन्द्रशेखर यादव तथा अन्य स्टाफ ने अनुसंधान हेतु आवश्यक विभिन्न जन्तु मॉडलों का प्रदर्शन किया।

आयुर्वेद, अपने सदियों पुराने ज्ञान और प्राकृतिक उपचार दृष्टिकोण के साथ, वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।

गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के छात्रों और शिक्षकों के साथ आयुर्वेद दिवस मनाने की सीएसआईआर-सीडीआरआई की पहल पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति के बीच अंतर को पाटने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

इस आयोजन का उद्देश्य छात्रों और आचार्यों को औषधि अनुसंधान क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ जोड़कर भारत और दुनिया भर में आयुर्वेद के बारे में अधिक जागरूकता और प्रशंसा को बढ़ावा देना है।

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