ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के आने से लोगों में मनोरंजन इंडस्ट्री को लेकर एक अलग ही क्रेज देखने को मिला है। ओटीटी पर हर तरह के कंटेंट को दिखाने की आजादी है। भारतीय सेंसर बोर्ड ने ओटीटी प्लटेफॉर्म्स के कंटेंट पर नकेल कसना शुरू कर दिया है।
सीबीएफसी द्वारा फिल्मों के कथित तौर पर अन्यायपूर्ण सेंसरशिप को लेकर बहस तेज हो गई है। खबर आ रही है कि नेटफ्लिक्स भी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के दायरे में रहकर स्ट्रीम करना पड़ेगा।
विश्व स्तर पर स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने भारतीय फिल्मों के बिना सेंसर किए संस्करणों की स्ट्रीमिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल रिलीज हुई कई फिल्मों की समीक्षा के बाद यह दावा है कि नेटफ्लिक्स अब उन ओटीटी प्लेटफार्मों की श्रेणी में आ चुका है, जिसने सीबीएफसी के अप्रूवल प्राप्त करने से पहले भारतीय फिल्मों के संस्करण दिखाना बंद कर दिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, अनुभव सिन्हा की भीड़, लोकेश कनगराज की लियो और अमित राय की ओएमजी 2 उन फिल्मों में से थीं, जिन्हें राजनीतिक, सांप्रदायिक या वयस्क सीन को दिखाने या संबोधित करने वाले मोड़ पर कटौती का सामना करना पड़ा, कुछ समय से बाकि के स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म इसका पालन कर रहे हैं। नेटफ्लिक्स भी भारतीय कंटेंट को सेंसरशिप के हिसाब से ही स्ट्रीम करना होगा।
नेटफ्लिक्स पर दर्शक फिल्मों के हद से अधिक बोल्ड सीन्स को एक्सटेंडेड वर्जन में नहीं देख सकेंगे। भारतीय कंटेंट में बोले जाने वाली अभ्रद भाषा का उपयोग अब शायद काफी कम हो जाएगा। नेटफ्लिक्स ने अपनी स्ट्रीमिंग पॉलिसी में लाए इन बदलावों पर अब तक कुछ भी नहीं कहा है।
एक बयान में नेटफ्लिक्स ने कहा, ‘हमारे पास भारतीय मूल फिल्मों और टीवी शो का एक बड़ा कलेक्शन है, जो क्रिएटिव रहने की आजादी के लिए हमारे लंबे समय से चले आ रहे समर्थन को दर्शाता है।
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बता दें कि इस वर्ष के आगाज में मशहूर एक्टर गोविंद नामदेव ने सीबीएफसी द्वारा ओएमजी 2 को दिए गए ए प्रमाणपत्र की निंदा की थी। उन्होंने बोला था, फिल्म को 24 कट्स से गुजरना पड़ा और आखिरी में इसे ए प्रमाणपत्र मिला। इस कारण यह किशोरों द्वारा नहीं देखी जा सकी, जिन्हें लेकर फिल्म बनाई गई थी।