भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के सहयोगी संजय सिंह को डब्ल्यूएफआई का नया अध्यक्ष चुना गया है। वर्ष के शुरुआत में कई बार स्थगन के बाद, भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव गुरुवार (21 दिसंबर) को हुए। नई दिल्ली में दिन के समय हुए मतदान के बाद उसी दिन मतगणना भी हुई, जिसमे संजय सिंह को विजयी घोषित किया गया।
सिंह को 40 वोट मिले, उनकी प्रतिद्वंद्वी पूर्व भारतीय पहलवान अनीता श्योराण को सात वोट मिले। भारतीय कुश्ती महासंघ में शीर्ष पदों के लिए चुनाव वैश्विक कुश्ती संस्था, यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के लिए डब्ल्यूएफआई पर लगाए गए निलंबन को हटाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने अगस्त में निर्धारित समय सीमा के भीतर चुनाव कराने में विफल रहने की वजह से डब्ल्यूएफआई को निलंबित किया था और भारत के पहलवानों ने पिछले कुछ महीनों में वैश्विक टूर्नामेंटों में तटस्थ एथलीटों के रूप में प्रतिस्पर्धा की थी। राजधानी में अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष समेत 15 पदों के लिए चुनाव हुए।
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला राष्ट्रमंडल खेल की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण और उत्तर प्रदेश कुश्ती महासंघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह के बीच था।
अनीता श्योराण, जो हरियाणा से हैं और ओडिशा से चुनाव लड़ीं, राष्ट्रीय कुश्ती संस्था की पहली महिला अध्यक्ष बनने के लिए जोर लगा रही थीं।
उन्हें साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगट सहित स्टार पहलवानों का समर्थन प्राप्त था, जिन्होंने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों पर निवर्तमान बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
दूसरी ओर, संजय सिंह, जो बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी रहे हैं, ने कुश्ती के गौरवशाली दिनों को वापस लाने का वादा किया है, एक ऐसा खेल जिसने हाल के दिनों में भारत के लिए कई ओलंपिक पदक विजेता पैदा किए हैं। साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे लोगों को संजय सिंह के चुनाव लड़ने पर आपत्ति थी। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ अपनी बैठक के दौरान इसे जाहिर किया था।
बहुचर्चित विरोध प्रदर्शन 18 जनवरी को शुरू हुआ जब पहलवान नई दिल्ली के जंतर मंतर पर एकत्र हुए और सार्वजनिक रूप से सिंह पर यौन शोषण और धमकी के आरोप लगाए। एथलीटों का आक्रोश सिर्फ अपने लिए न्याय मांगने के बारे में नहीं था बल्कि आने वाले पहलवानों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने के बारे में भी था।
उन्होंने डब्ल्यूएफआई में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग की और जोर देकर बोला कि न तो सिंह और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य को महासंघ में शामिल होना चाहिए। विरोध प्रदर्शन जून तक जारी रहा जिसके बाद खेल मंत्रालय द्वारा कार्रवाई का वादा किए जाने के बाद पहलवानों ने इसे बंद करने का फैसला किया।
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