पादप रोग विज्ञान में विशेष योगदान देने वाले पूर्व शोधकर्ताओं पर बने डाक्यूमेंट्री

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लखनऊ। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी, नई दिल्ली के सहयोग से “खाद्य सुरक्षा के लिए पादप स्वास्थ्य: खतरे और वादे” बिषय त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में पादप रोग विज्ञान पर कई चर्चाएं हुई।

इस राष्ट्रीय सम्मेलन में कुल 14 तकनीकी सत्रों में कुल 400 से अधिक मौखिक एवं पोस्टर शोध पत्रों की प्रस्तुति वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों ने दी। शनिवार को समापन समारोह की अध्यक्षता डॉ.जेएस संधू, (पूर्व उप महनिदेशक (फसल विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली) एवं पूर्व कुलपति एसके एनएयू जोबनेर, ने की।

वहीं विशिष्ट अतिथि डॉ.एससी दुबे, (अध्यक्ष, आईपीएस एवं कुलपति, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची), डॉ.टी दामोदरन (निदेशक, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ), डॉ.आर. सेल्वाराजन (निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र, त्रिची), डॉ. दिलीप घोष (नव नियुक्त अधक्ष इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी एवं निदेशक, राष्ट्रीय संतरा अनुसंधान केंद्र, नागपुर) विशिष्ट अतिथि थे।

वहीं कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ.आर विश्वनाथन (निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ) ने सभी का स्वागत किया। डॉ.जेएस संध ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सलाह दी कि पादप रोग विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले पूर्व शोधकर्ताओं की डाक्यूमेंट्री बनाई जाये जिससे युवा पीढ़ी को प्रोत्साहन मिल सके।

इसी के साथ सम्मेलन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर आधारित एक कृषि प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। डॉ. दिनेश सिंह, पीसी (गन्ना) आयोजक सचिव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ. अनीता सावनानी ने किया।

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