लखनऊ। जानेमाने शायर अफसानानिगार, हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू के रचनाकार सुहैल काकोरवी की जीवनी ‘सुहैलनामा’ शायरी में लिखी किताब का उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के सभागार में विमोचन हुआ।
रविवार को हुए इस समारोह के मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, समारोह अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार अहमद इब्राहिम अल्वी, हिंदी संस्थान की प्रधान संपादक लेखिका डॉ अमिता दुबे, समारोह संचालक रिजवान फारुकी, प्रो शाफे किदवई, हिंदी-उर्द अवार्ड कमेटी के महामंत्री अतहर नबी ने पुस्तक का विमोचन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान सभागार में हुआ विमोचन
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आमतौर पर लेखक, शायर अपना जिंदगीनामा कथ्य में ही लिखते रहे हैं। लेकिन सुहैल काकोरवी ने अपनी जीवन यात्रा को अंकित करने के लिए कविता का सहारा लिया और कामयाब भी हुए। सुहैल काकोरवी की पंद्रहवीं कृति है। उर्दू में ये तीसरी काव्यात्मक आत्मकथा है।
सुहेल काकोरवी का मूल नाम मुहियुद्दीन हसन अलवी है। अंग्रेजी से एमए उर्दू हिन्दी अंग्रेज़ी फ़ारसी में लेखन, सूफ़ी मिज़ाज, ख़ानक़ाह काज़मिया काकोरी शरीफ़ के मुरीद सुहैल काकोरवी इन्सान दोस्ती और राष्ट्रीय एकीकरण के समर्थक कहे जाते हैं।
शालीन स्वभाव, छोटों पर स्नेहपूर्ण, विशाल हृदय वाले, किसी को दुख न देने वाले और बहुत सी अन्य विशेषताओं के धारक सुहैल काकोरवी उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत व सम्मानित किया जा चुका है।
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सुहैल काकोरवी कीलेखन यात्रा की बात करें तो ‘लौ’ हिन्दी कहानियों का संग्रह ‘गुलगश्त’ और ‘निगाह’ (देवनागरी) ग़ज़लों के संकलन, ‘नग़मा-ए-तार-ए-रग-ए-जां’ फ़ारसी ग़ज़लों का संकलन, ‘आओ देखो यहा मुस्तफ़ा हैं’ नात का संकलन, ‘इफ़लजेन्स’ अंग्रेज़ी शायरी का संकलन, अंग्रेज़ी में पिता की जीवनी माई फादर हार्ट्सके अतिरिक्त कुछ अनुपम कृतियां है।
जिनमें फल आम पर ‘आमनामा’ (लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स 2015 में सेलेक्ट हुई), मुहावरों पर ‘नीला चांद’ (उर्दू, देवनागरी व अंग्रेज़ी अनुवाद सहित जो एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स 2021 में शामिल हुई)।
सके अलावा शब्द गुल की रदीफ़ पर 300 शेरों पर आधारित ‘गुलनामा’, ग़ालिब, फ़ैज़ और मजरूह सुल्तानपुरी की ज़मीन पर ‘अरज़ियाते ग़ालिब’, ‘बाज़आफ़रीनी फ़ैज़’ व ‘मजरूह: एक बाज़दीद’, मशहूर शेरों पर ‘बाज़याफ़्त’, उर्दू हिन्दी व अंग्रज़ी के राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में ग़ज़लें, नज़्में, लेख तथा कहानियां आदि प्रकाशित, दूरदर्शन व ऑल इण्डिया रेडिया पर बड़ी संख्या में साहित्यिक प्रस्तुतियां देने वाले सुहैल काकोरवी की अल्लामा इक़बाल और जौन एलिया की ज़मीनों पर ग़ज़लों का संकलन प्रकाशन के लिए तैयार हैं।