कौशल को निखारा तथा फ्लो साइटोमेट्री के उन्नत अनुप्रयोगों के बारे में सीखा

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लखनऊ : सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआईआर-सीडीआरआई) में हो रही दो दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभागियों ने अपने कौशल को निखारा एवं जीव विज्ञान में फ्लो साइटोमेट्री के उन्नत अनुप्रयोगों के बारे में सीखा। यह कार्यशाला ट्रस्ट फॉर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इन साइटोमेट्री (टीईटीसी) इंडिया के सहयोग से आयोजित की जा रही है।

सीएसआईआर-सीडीआरआई में टीईटीसी, इंडिया के सहयोग से दो दिवसीय फ्लो साइटोमेट्री पर कार्यशाला

कार्यशाला का उद्घाटन सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने किया, अपनी उद्घाटन सम्बोधन में उन्होंने आधुनिक अनुसंधान में एक अनिवार्य उपकरण के रूप में फ्लो साइटोमेट्री के महत्व पर प्रकाश डाला।

डॉ. रंगराजन ने प्रतिभागियों को फ्लो साइटोमेट्री जैसी उन्नत तकनीकों से लैस करने के महत्व पर जोर दिया, जो उन्हें बायोमेडिकल अनुसंधान में मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि फ्लो साइटोमेट्री सूक्ष्म जीव विज्ञान और मेटाबोलिक रोगों के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने में सहायक है, जो शोधकर्ताओं को सेलुलर प्रक्रियाओं का अध्ययन करने, चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने और नवीन उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए शक्तिशाली उपकरण प्रदान करती है।

कार्यशाला में डॉ. डेरेक डेविस फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट, लंदन से मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। वह तीन दशकों से अधिक के अग्रणी योगदान के साथ फ्लो साइटोमेट्री के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध व्यक्ति हैं। क्षेत्र में अपने नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध डॉ. डेविस ने फ्लो साइटोमेट्री, इसके उपकरण और विविध अनुप्रयोगों की जटिलताओं में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान की।

फ्लो साइटोमेट्री कोशिका को ही नहीं, उसके व्यवहार की समझ भी बताती है : डॉ डेरेक

उन्होने बताया कि फ्लो साइटोमेट्री सिर्फ कोशिका को ही नहीं, बल्कि उसके व्यवहार की समझ को भी प्रकाशित करती है। साथ ही प्रतिभागियों को स्वयं के साइटोमीटर स्थापित करने से लेकर मल्टीकलर इम्यूनो फेनोटाइपिंग, कोशिका स्वास्थ्य विश्लेषण, प्रसार, कोशिका चक्र, कोशिका मृत्यु एवं कोशिका छँटाई जैसी उन्नत तकनीकों तक के विषयों पर गहराई से विचार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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कार्यशाला में अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों में रुई गार्डनर, मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर यूएसए में फ्लो साइटोमेट्री कोर फैसिलिटी के प्रमुख, कार्ला मोनकाडा गोरेना, यूएसए, डॉ. एच कृष्णमूर्ति, पूर्व प्रमुख फ्लो फैसिलिटी एनसीबीएस बैंगलोर, एम्स नई दिल्ली से डॉ. रूपेश श्रीवास्तव, अहमदाबाद विश्वविद्यालय से डॉ. विवेक तनावड़े, टीईटीसी, भारत के डॉ. हिमांशु टिल्लू और डॉ. हेमंत अग्रवाल आदि शामिल थे।

बेकमैन-कूल्टर, थर्मोफिशर और साइटेक बायोसाइंसेज के अधिकारियों ने फ्लो साइटोमेट्री की बुनियादी और उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, सीएसआईआर-सीडीआरआई के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों डॉ मृगांक श्रीवास्तव, डॉ सचिन कुमार, डॉ राहुल शुक्ला,

डॉ. नीरज जैन और डॉ. अनिल गायकवाड़ ने इस दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। इस कार्यशाला में पूरे भारत से लगभग सत्तर से अधिक प्रतिभागी लाभान्वित हो रहे हैं।

फ्लो साइटोमेट्री:

फ्लो साइटोमेट्री किसी तरल पदार्थ में कोशिकाओं का त्वरित विश्लेषण करने की एक उच्च तकनीक विधि है। लेज़रों का उपयोग करके, फ्लो साइटोमीटर प्रकाश संकेत बनाते हैं जो कोशिकाओं में से निकलते हैं या चमकते हैं, जिन्हें बाद में फोटोडायोड या फोटोमल्टीप्लायर ट्यूबों द्वारा रिकॉर्ड कर लिया जाता है।

ये सिग्नल इलेक्ट्रॉनिक डेटा बन जाते हैं, जिनका कंप्यूटर विश्लेषण करता है और एक विशेष फ़ाइल प्रारूप में सहेजता है। वैज्ञानिक, कोशिकाओं का अध्ययन एवं शुद्धिकरण उनकी चमक या प्रदीप्तता के आधार पर कर सकते हैं कि वे किस प्रकार चमकती हैं या प्रकाश बिखेरती हैं।

यह बायोमेडिकल, क्लिनिकल रिसर्च एवं उसके निदान में बहुत उपयोगी है जैसे कि सेलुलर फेनोटाइप का कम समय में पता लगाना, कैंसर और मेटाबोलिक रोगों, कोशिका जीव विज्ञान, रक्त कोशिका गिनती करना एवं उनके प्रकारों को जानना।

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