सनातन संगम की पुनीत विचारधारा गांव-गांव तक पहुंचाएं : नम्रता पाठक

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कार्यक्रम को संबोधित करते सनातन संगम न्यास के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण

लखनऊ। सनातन संगम न्यास के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को इंदिरानगर में सनातनी धम्मायोजन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेविका नम्रता पाठक व विशिष्ट अतिथि यूपी भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के संयोजक विनीत अग्रवाल शारदा रहे।

अपने संबोधन में नम्रता पाठक ने कहा कि सनातन संगम के इस पुनीत विचारधारा को ना केवल शहरों तक सीमित किया जाए बल्कि इसे गांव-गांव तक पहुंचाया जाए। इस काम में सनातम संगम न्यास के साथ मैं सदैव कंधे से कंधा मिलाकर चलने को लिए तैयार हूं।

टकराव का अंधकार मिटाएगी सनातन संगम की ज्योति : डॉ.अतुल कृष्ण

सनातन संगम न्यास, लखनऊ शाखा के प्रभारी देवेश दीक्षित ने कहा कि लखनऊ में जो सनातन ज्योति प्रज्जवलित की गयी है, वो पूरे प्रदेश में प्रकाश पुन्य के रूप में तीव्रता के साथ फैलेगी, शीघ्र ही कानपुर, बनारस आदि प्रमुख नगरों में भी कार्यक्रम आयोजित किया जाऐगा।

सनातन संगम न्यास के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण ने बताया कि सनातन का अर्थ है, वह जो चिरकाल से है, जो शाश्वत है जो अपरिवर्तनीय है। जब इस शब्द का प्रयोग किसी दर्शन के संबंध में किया जाता है तो इसका अर्थ उन सिद्धांतों से होता है जो किसी व्यक्ति के द्वारा नहीं बनाए गए एवं स्वयं प्रकृति ने उन्हें मानव को उसके धर्म स्वरूप दिए हैं।

सनातन संगम न्यास व दीक्षा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में हुआ धम्मायोजन
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक के साथ डॉ.अतुल कृष्ण

प्रकृति के द्वारा दिए गए सनातन मूल्य वे हैं जिन पर चलकर व्यक्ति अपना एवं संपूर्ण सृष्टि का मंगल कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह सनातन मूल्य प्रेम, करुणा, मैत्री, समानता सद्भावना एवं समन्वय का है। वर्तमान में यदि सनातन धर्म की चर्चा की जाती है तो ऐसा प्रतीत होता है की मूर्ति पूजक हिंदू ही सनातनी है।

सनातन भावों का किसी की पूजा पद्धति से कोई संबंध नहीं है, प्राथमिक रूप से यह भाव लौकिक व्यवहार से संबंध रखते हैं। यदि इतिहास को देखा जाए तो सनातन धर्म की स्पष्ठ व्याख्या तथागत बुद्ध ले की थी।

डॉ. अतुल कृष्ण ने आगे कहा कि आज आपसी टकराव के कारण जो अंधकार चारों ओर फैला है उसे मिटाने का काम सनातन संगम की यह ज्योति ज्वाला बनकर करेगी। सनातन संगम के इस आयोजन के लिए आज के दिन को चुने जाने की वजह बताते हुए कहा कि आज का दिन समन्वय का दिन है।

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आज स्वर्गीय दीनदयाल उपाध्याय की पुन्यतिथि है, उन्हें याद करने का दिन है। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। उनको सनातन संगम की ज्योति जलाकर याद करने से अच्छी श्रद्धांजलि भला क्या हो सकती है।

वक्ता के तौर पर अपने संबोधन में सर्वाेच्च न्यायालय में अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता सुबुही खान ने कहा कि धर्म के सभी रुपों को स्वीकार करते हुए उनमें विश्वास करना, पंथों का सम्मान करना व संस्कृति को संरक्षित व संवर्धित करना ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है।

जिस सनातन संस्कृति को हम जागृत करना चाहते हैं वो क्या है, हमरा कर्तव्य ही सनातन है। अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह निर्वहन करना ही सनातन है। मैं सनातनी हूं लेकिन पंथ मुस्लिम है। सनातन एक ऐसा शब्द है जिसमे सभी धर्म सम्माहित हैं।

बीजेपी प्रवक्ता अशोक पाण्डे ने कहा कि आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्य तिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं। सनातन वो है जिसका न आदि है न अंत है, जिसकी उत्पत्ति नहीं उसका अंत कैसे।

भगवान बुद्ध, स्वामी विवेकानंद श्रीकृष्ण सनातन को आगे बढ़ाने का काम किया। इस्लाम कभी सनातन नहीं हो सकता है। उन्होंने तलवार की जोर धर्म परिवर्तन कराया। पूर्व विधायक सुरेश राठौर ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म सनातन संस्कृति इसके उपर चाहे जितना बोल लें उसकी गहराई तक नहीं जा सकता।

जब से ब्रह्माण्ड है तब से सनातन है। श्रीराम मंदिर का प्रांण प्रतिष्ठा हो रहा था तो पूरी दुनिया देख रही थी। देश के अंदर रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सनातनी है। सरोज शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष लखनऊ बार एसोसिएशन, अशोक पाण्डेय, प्रवक्ता बीजेपी, अजय त्रिपाठी भाजपा नेता ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।

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