लखनऊ। लब्धप्रतिष्ठ साहित्यिक संस्था चेतना साहित्य परिषद् के तत्वावधान में यूपी प्रेस क्लब में दो रविवार को गजाधर प्रसाद अवस्थी गौरव’ विरचित गीत संग्रह ‘गीत उनके लिये’ और डॉ. दिनेश चन्द्र अवस्थी दिनेश द्वारा विरचित खण्डकाव्य ‘लक्ष्मण शक्ति’ का लोकार्पण हुआ।
गजाधर प्रसाद अवस्थी गौरव’ ने लिखा गीत संग्रह ‘गीत उनके लिये’
समारोह की अध्यक्षता प्रो.(डॉ.) हरिशंकर मिश्र (पूर्व आचार्य, हिन्दी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय) ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) उषा सिन्हा, (पूर्व विभागाध्यक्ष, भाषा विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय) और विशिष्ट अतिथि डॉ. उमा शंकर शुक्ल शितिकंठ (पूर्व प्रवक्ता केकेसी महाविद्यालय) रहे।
वहीं मुख्य वक्ता डॉ. बृजेश चन्द्र मिश्र (श्री जयनारायण मिश्र परास्नातक महाविद्यालय) मंच पर विराजमान रहे। मंचस्थ विभूतियों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और राजेंद्र शुक्ल ‘राज’ की वाणी वंदना से कार्यक्रम का प्रारम्भ हुआ।
यह कार्यक्रम विशेष रूप से इस बात के लिए चर्चित हुआ कि पिता और पुत्र दोनों की कृतियों का एक साथ लोकार्पण किया गया। दोनों कृतियों का विधिवत लोकार्पण मंवस्थ मनीषियों ने अनवरत करतल ध्वनि के बीच किया। तदोपरांत दोनों रचनाकारों ने अपनी लोकार्पित कृतियों से काव्यपाठ किया।
डॉ. दिनेश चन्द्र अवस्थी दिनेश ने लिखा खण्डकाव्य ‘लक्ष्मण शक्ति’
इसके बाद तत्पश्चात पुस्तकों पर चर्चा करते हए मुख्य वक्ता डॉ. वृजेश चन्द्र मिश्र ने दोनों कृतियों पर विस्तार से अपनी समीक्षा पेश की।
‘गीत उनके लिये के गीतों को उत्कृष्ट बताते हुए कहा कि इस संग्रह के गीतों में विषय वैविध्य तथा लालित्य दोनों तत्व हैं जो इस पुस्तक को विशिष्ट बनाते हैं।
‘लक्ष्मण शक्ति” की विशेषता यह है कि एक छोटे से प्रसंग को लेकर कवि ने एक ऐसा अद्भुत खण्डकाव्य रच डाला जो कथ्य और शिल्प दोनों ही दृष्टियों से उत्कृष्ट है। विशिष्ट अतिथि डॉ. उमाशंकर शुक्ल शितिकंठ’ ने दोनों ही कृतियों में काव्य तत्व की तलाश करते हुए उनकी सराहना की और पिता पुत्र दोनों को बधाई दी।
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मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) उषा सिन्हा ने कहा कि दोनों कृतियों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। साहित्य जगत में इनकी चर्चा लम्बे समय तक होती रहेगी।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. (डॉ.) हरिशकर मिश्र ने आज के अवसर को अनोखा बताया कि जब एक साथ पिता और पुत्र दोनों की काव्यकृतियों का विमोचन हो रहा है।
उन्होंने भी दोनों ही कृतियों को अपनी-अपनी विधा में श्रेष्ठ कृति की संज्ञा देते हुए कहा कि ये कृतियाँ साहित्य जगत की अमूल्य निधि सिद्ध होंगी. ऐसा विश्वास है।
उन्होंने गजाधर प्रसाद अवस्थी गौरव की विशेष सराहना करते हुए कहा कि इतनी उम्र में भी सृजनशीलता में लगे रहना अभिभूत करने वाला अनुभव है। उन्होंने सस्था के कार्यकलापों की भी प्रशंसा की।
इस कार्यक्रम में संस्था के सभी पदाधिकारी व सदस्य तथा नगर की प्रायः सभी साहित्यिक संस्थाओं के मनीषियों ने सहभागिता करके इसे सफल बनाया। अंत में संस्था के उपाध्यक्ष राम औतार पकज ने सभी अतिथियों एवं अभ्यागत साहित्यकारों को धन्यवाद ज्ञापित किया।