दीपक हलदर, 65 साल के जवान खिलाड़ी, युवाओं को देते है मात

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लखनऊ। लखनऊ में  लालकुंआ के पास रहने वाले 65 वर्षीय दीपक कुमार हलदर ने इस उम्र में भी कमाल दिखाकर युवाओं को शर्मिंदा कर दिया।

चार साल पहले कैसरबाग टेलीफोन एक्सचेंज से सेवानिवृत हुए दीपक हलदर ने तिरुवनन्तपुरम (केरल) में मास्टर गेम्स फेडरेशन ऑफ इण्डिया की ओर से 18 से 22 मई तक आयोजित चौथी नेशनल मास्टर गेम्स के मास्टर ग्रुप में भारोत्तोलन स्पर्धा में 89 किग्रा भार वर्ग में 100 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीत लिया।

चौथी नेशनल मास्टर गेम्स में भारोत्तोलन में हासिल की स्वर्णिम सफलता

बताते चले कि दीपक हलदर के पिता स्वर्गीय हरिभूषण हलदर हॉकी और एथलेटिक्स में चैंपियन रहे है।  केडी सिंह बाबू के साथ हॉकी में कमाल दिखा चुके हरिभूषण के चार बेटों का खेलों में नाम रहा है। इन्हीं में दीपक कुमार हलदर भी हैं।

युवावस्था से पहले ही  लोहा उठाने और शरीर बनाने के दीवाने दीपक हलदर ने वेटलिफ्टिंग, पॉवरलिफ्टिंग और बॉडी शो में ऐसी पहचान बनाई कि खेल कोटे में साल 1990 में कैसरबाग टेलीफोन एक्सचेंज में उन्हें सीनियर टेलीफोन टेक्निशयन की नौकरी मिल गयी। इससे पहले वो रेलवे, पोस्टल, एचएएल, रोडवेज, स्कूटर इण्डिया में काम कर चुके थे। हालांकि अपनी सरकारी सेवा के दौरान उनकी खेल के प्रति दीवानगी बनी रही।

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2018 में 31 जुलाई को सेवानिवृत हुए दीपक कुमार हलदर आज भी मास्टर प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए निरंतर अभ्यास करते हैं। उन्होंने बताया कि वो सुबह व शाम दो-दो घंटा अभ्यास करते हैं और भी कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं।

खेल जगत में दादा के नाम से मशहूर दीपक हलदर मौका मिलने पर अपनी स्कूटर से से शहर के खेल मैदानों पर चक्कर लगाने के साथ सुबह अभ्यास के बाद एक घंटा अखबार में सिर्फ खेल की खबरों को पढ़ते हैं। दीपक हलदर 5 बार  इंटरनेशनल चैंपियनशिप में आफिशियल की भूमिका भी  निभा चुके हैं।

हालांकि दीपक यादव को आज भी भी इस बात का मलाल  कि वो सऊदी अरब में होने वाली एशियन चैंपियनशिप  के लिए चयनित होने बाद आर्थिक संकट के चलते खेलने नहीं जा सके थे।

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