मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य : ब्रजेश पाठक

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लखनऊ। वर्ष 2025 में आयोजित होने वाले महाकुम्भ प्रयागराज के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा कुम्भ पूर्व आयोजनों के अन्तर्गत कार्यक्रमों का शंखनाद कवि कुम्भ के माध्यम से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया।

इस कवि कुम्भ का आयोजन संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा हिंदी साहित्य अकादमी, संस्कार भारती एवं राष्ट्रीय कवि संगम के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम का संयोजन कवि सौरभ जैन सुमन, अध्यक्ष हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा किया गया।

इस महा आयोजन में पूरे देश से लगभग 450 कवियों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है। इस आयोजन में केवल कवि ही नहीं अपितु बड़े-बड़े फिल्मी सितारे, टीवी कलाकार एवं संत आदि सम्मिलित हो रहे हैं। यह समारोह महाकुम्भ के आगाज का प्रथम उत्सव है। यह मंच स्थापित कवि एवं नवोदित कवियों के मध्य सेतु का काम कर रहा है।

 

उद्घाटन सत्र में ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि उत्तर प्रदेश सरकार सदैव कवियों के साथ है, क्योंकि कवि कविता के माध्यम से समाज की वस्तुस्थिति से अवगत कराता है।

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उन्होंने अटल को याद करते हुए कहा कि वे राजनेता के साथ-साथ महान कवि थे एवं उन्होंने आम जनमानस को अपनी कविताओं के माध्यम से जोड़े रखा। कविता सम्प्रेषण का सशक्त माध्यम है।

मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि हिन्दी की वाचिक परम्परा को जीवित रखने के लिए कवि सम्मेलन जैसी कला को जीवित रखना आवश्यक है। संस्कृति विभाग, यूपी, प्रदेश की मूर्त एवं अमूर्त धरोहरों को संरक्षित एवं संवर्धित करने हेतु निरंतर प्रयास कर रहा है और करता रहेगा।

हिन्दी साहित्य अकादमी की संगठन प्रमुख एवं मशहूर कवयित्री डॉ.अनामिका जैन अम्बर ने अपने कविता पाठ के दौरान कहा कि कविता देश की दिशा और दशा निर्धारित करने की शक्ति रखती है।

कार्यक्रम में अन्य कवियों ने भी काव्य पाठ किया, जिसमें फिल्मी गीतकार ए.एम. तुराज ने हिरामंडी, पद्मावत एवं बाजीराव मस्तानी के गीतो से दर्शकों को अभिभूत किया। सायंकालीन सत्र में काव्य पाठ में मशहूर कवि संतोष आनन्द, आशीष अनल, शशिकान्त यादव, डॉ.मंजू दीक्षित, अमित शर्मा एवं डॉ.प्रवीण शुक्ल आदि के द्वारा काव्य पाठ किया गया।

आज विभिन्न सत्रों में 100 से अधिक नवोदित कवियों ने काव्यपाठ किया। प्रत्येक कवि को 5 मिनट का समय कव्यपथ के लिए दिया गया। वहीं मंच के स्थापित कवियों ने अपने उद्बोधन में नवोदित कवियों को मंच का प्रशिक्षण दिया।

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