ग्रीन केमिस्ट्री से पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए अनुकूल डिजाइन होते हैं तैयार

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लखनऊ। हरित रसायन विज्ञान (ग्रीन केमिस्ट्री) या सस्टेनेबल केमिस्ट्री रसायन विज्ञान और रासायनिक इंजीनियरिंग का एक  विशेष क्षेत्र है। इस क्षेत्र में रासायनिक उत्पादों और प्रक्रियाओं के ऐसे डिजाइन विकसित करने पर ध्यान दिया जाता है जहां पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों का उपयोग और उत्पादन न्यूनतम या बिलकुल भी न हो।

सीडीआरआई अपने ग्रीन केमिस्ट्री दृष्टिकोण से पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण को बचाने में सीडीआरआई के योगदान पर बात करते हुए, मुख्य वैज्ञानिक एवं औषधीय प्रक्रिया रसायन विज्ञान के प्रभागाध्यक्ष डॉ. अतुल कुमार ने ये भी कहा कि ये डिजाइन कार्यप्रणाली कुशल (एफ़िशिएंट) एवं लागत प्रभावी (कॉस्ट-इफेक्टिव) भी होना चाहिए।

इनमें प्रयुक्त अभिकारक एवं उत्प्रेरक पर्यावरण के अनुकूल, पुन: प्रयोज्य (रीयुजेबल) और बायोडिग्रेडेबल होना चाहिए।उन्होंने आगे बताया कि नब्बे के दशक से, जब हरित रसायन की अवधारणा अस्तित्व में आई, तब से ही सीडीआरआई नई सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) बल्कि नई दवाओं के विकास के लिए नई हरित और टिकाऊ (ग्रीन एंड सस्टेनेबल) प्रक्रिया विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

डॉ. अतुल कुमार के अनुसार सीडीआरआई लखनऊ अपने ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट के लिए हरित रसायन विज्ञान के दृष्टिकोण के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हम हानिकारक रसायनों के अत्यधिक उपयोग के साथ-साथ बहु-चरणीय (मल्टीस्टेप) अभिक्रियाओं से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने हाल के कुछ वर्षों में इस दिशा में सीएसआईआर-सीडीआरआई की कुछ विशिष्ट उपलब्धियों, उदाहरण के लिए β-आर्टीमिथर/आर्टीथर और “स्मार्ट ड्रग” मोडाफिनिल के संश्लेषण का उल्लेख किया।

β-आर्टीमिथर/आर्टीथर का वन-पॉट ग्रीन सिंथेसिस

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आर्टेमिसिनिन कॉम्बिनेशन थेरेपी (एसीटी) को मंजूरी दी है, जिसमें आर्टीमिथर -ल्यूमफैंट्रिन शामिल है, जो मलेरिया-पीड़ित अधिकांश देशों में जटिल प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया के लिए पहली पंक्ति के उपचार के रूप में अनुशंषित है।

आर्टीमिसिनिन से आर्टीमिथर/आर्टीथर का संश्लेषण दो चरणों में पूर्ण हो पाता है। पहले चरण में कार्बोनिल समूह का अपचयन होता है और दूसरे चरण में ईथरीकरण होता है। आर्टीमिसिनिन से आर्टीमिथर के संश्लेषण के लिए पारंपरिक प्रक्रिया/दृष्टिकोण अच्छी मात्रा में उत्पाद देने में सक्षम तो है।

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परंतु स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं उत्पाद की कीमत के संदर्भ में इसकी कुछ सीमाएं हैं। जैसे बेंजीन जैसे कार्सिनोजेनिक सॉल्वैंट्स, अत्यधिक खतरनाक लुईस एसिड और प्रो एसिड का उपयोग, वांछित β-आइसोमर को अलग करने के लिए कॉलम क्रोमैटोग्राफ का उपयोग एक कठिन प्रक्रिया है।

इसके अलावा इसकी द्वि-चरणीय संश्लेषण प्रक्रिया इसकी कीमत के साथ साथ उत्पादन का समय भी बढ़ा देती है। उन्होंने आगे कहा कि आर्टीमिथर/आर्टीथर के संश्लेषण के लिए उच्च शुद्धता और न्यूनतम उप-उत्पाद निर्माण के साथ उत्पादन में सरल, और पर्यावरणीय के लिए हानिरहित और टिकाऊ निर्माण प्रक्रिया के विकास की अतिशय आवश्यकता थी।

इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सीएसआईआर-सीडीआरआई की टीम ने इस पर काम किया और आर्टीमिथर/आर्टीथर के उत्पादन के लिए एक वन-पॉट इको-फ्रेंडली ग्रीन सिंथेसिस प्रक्रिया तैयार की।

स्मार्ट ड्रग मोडाफिनिल का ईज़ (EASE) संश्लेषण

स्मार्ट ड्रग मोडाफिनिल  चिकित्सकीय रूप से नार्कोलेप्सी और अन्य नींद संबंधी विकारों के उपचार के लिए एक जागृति को बढ़ावा देने वाले एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। मोडाफिनिल और इसके एनालॉग्स के संश्लेषण के लिए अनेक दृष्टिकोण प्रस्तावित किए गए हैं।

हालांकि पारंपरिक तरीकों द्वारा सामान्य उत्पादकता हेतु महंगे एवं स्वस्थ्य एवं प्रवरण के लिए हानिकारक रसायनों/अभिकर्मकों के उपयोग की आवश्यकता होती है।

हमारी टीम ने मोडाफिनिल के उत्पादन के लिए पर्यावरण के अनुकूल, लागत प्रभावी और सुरक्षित तरीके पर ध्यान केंद्रित किया और मोडाफिनिल की एक परमाणु कुशल एवं चरण किफ़ायती संश्लेषण प्रक्रिया विकसित की जो कम रसायनिक अणुओं एवं कम चरणों की अभिक्रिया के माध्यम से किफ़ायती तौर पर इसका उत्पादन करती है।

उन्होंने आगे उल्लेख किया कि सीएसआईआर-सीडीआरआई पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य देखभाल के लिए नए एपीआई और नई दवाओं के विकास के लिए अधिक से अधिक हरित और सतत रसायन (ग्रीन एंड सस्टेनेबल) दृष्टिकोण विकसित करने के लिए अपना प्रयास जारी रखे हुए है।

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