सीडीआरआई में हिंदी पखवाड़ा समापन पर बरसी हास्य रस की फुहार

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लखनऊ। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के मुख्य प्रेक्षागृह में हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह में पखवाड़े के दौरान हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को निदेशक डा राधा रंगराजन ने पुरस्कृत किया।

इसके बाद आयोजित हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें  सूर्यकुमार पांडेय ने अपनी रचना पेश की-“” “बदन में चीनी कम होने लगी है, मोहब्बत के दो मीठे बोल दे दे। तेरी जुल्फों में जालिम कैद हूं मैं, मुझे कुछ रोज को पैरोल दे दे।”

वहीं शशि श्रेया ने कहा- “झूठ कहने  से  मुकरना चाहिए था, कम से कम ईश्वर से डरना चाहिए था। प्रेम   कहकर   वासनाएं  जी  रहे  हो, आपको  तो  डूब मरना चाहिए था”

हिंदी पखवाड़ा के दौरान हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता

फिर पंकज प्रसून की पेशकश में सोशल मीडिया के नशे पर तंज कसा गया। उन्होंने अपनी रचना सुनाई- “हम सोशल मीडिया के झूले में झूल रहे है, पासवर्ड याद है, पड़ोसी को भूल रहे हैं। हम बनावटी संवेदनाएं अपने अंदर भर रहे हैं, आजकल दोस्त को नहीं, बल्कि पोस्ट को लाइक कर रहे हैं।”

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कानपुर के श्रवण शुक्ला ने भी लोगों को “हमारे एक मित्र बीमा कंपनी के एजेंट हो गए, यानि भेजा चटने का पेटेंट हो गए। एक दिन सुबह-सुबह घर आ गए,  नाश्ते के साथ-साथ मेरा कीमती डेढ़ घंटा खा गए” से लोगों को गुदगुदाया।

कवि सम्मेलन का संचालन हिंदी अधिकारी सचिन मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में हाल खचाखच भरा रहा और देर शाम तक ठहाके गूंजते रहे। कार्यक्रम में वैज्ञानिक रिसर्च फेलोज एवं प्रशासनिक प्रभाग के अधिकारियों ने खूब आनंद लिया। धन्यवाद ज्ञापन बिहारी कुमार ने किया।

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