लखनऊ। वृद्धाश्रमों में अकेलेपन और अवसाद से जूझते बुजुर्ग हमारे सभ्य व शिक्षित समाज का वह आइना है जिसमें उन्हें अपने बच्चों को दी गयी परवरिश की धुंधली तस्वीर दिखायी देती है। एक ऐसा देश भारत जहाँ माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है।
उसी देश में वृद्धाश्रमों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी आज की युवा पीढ़ी की सोच पर सवालिया निशान लगाती है व कहीं न कहीं भारतीय संस्कृति की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की छवि को धूमिल करती है।
हेल्प यू ट्रस्ट ने “विश्व बुजुर्ग दुर्व्यव्हार जागरूकता दिवस” पर आयोजित की ऑनलाइन गोष्ठी
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने “विश्व बुजुर्ग दुर्व्यव्हार जागरूकता दिवस” के अवसर पर युवा पीढ़ी से अपने बड़े-बुजुर्गों का आदर करने की अपील करने हेतु “बड़े बुजुर्गो का कर्ज चुकायें” विषयक ऑनलाइन उद्बोधन कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम में विद्वान वक्तागणों के रूप में श्रीमती पुष्पलता अग्रवाल (शिक्षाविद्), श्रीमती (डॉ.) सोनाली सिंह (शिक्षाविद्) तथा संयोजक स्क्वाड्रन लीडर राखी अग्रवाल (समाज सेविका) ने अपने- अपने विचार व्यक्त किये। जानी मानी शिक्षाविद् श्रीमती पुष्पलता अग्रवाल ने कहा कि मैंने कई बुजुर्गों से वृद्ध आश्रम में रहने का कारण।
ये भी पढ़े : बाल मजदूरी के खिलाफ सबने ली शपथ, बालक श्रम को कहेंगे ना
पूछा, उसमें से दो-चार लोगों ने बड़ी मुश्किल से अपने दिल की व्यथा बतायी। अधिकांश लोगों की समस्या लगभग एक जैसी ही थी कोई भी बुजुर्ग अपनी ख़ुशी से वहाँ नहीं रह रहा था अधिकतर बुजुर्गों ने अपने बच्चों की उपेक्षा या अकेलेपन के कारण तथा बुढ़ापे में होने वाली कठिनाइयों से मजबूरी में वृद्धाश्रमों में रहने का निर्णय लिया था।
एक अच्छी बात यह है कि वहाँ उनको देखभाल के अलावा हम उम्र के लोगों के साथ सुख दुख बाँटने का अवसर मिलता है । यह सभी बुजुर्ग या तो अपने बच्चों के अलग या विदेश में रहने के कारण ख़ुद को घर में असुरक्षित महसूस कर रहे थे या अपने बच्चों के दुर्व्यवहार के कारण अपने ही घर से निकाल दिए जाने के कारण वृद्ध आश्रम में रहने को मजबूर हुए।
श्रीमती सोनाली सिंह (शिक्षाविद्) ने माज में बुजुर्गों की दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करना चाहती हूँ कि अपने अनेकों सराहनीय कार्यों में से आज World Elder Abuse Awareness Day पर, मुझे मेरे विचार रखने का मौका दिया है।
उन्होंने कहा कि बुजुर्गो के लिए एक अच्छा वातावरण सुनिश्चित करना, उनके सम्मान की रक्षा करना और उन्हें उनके अधिकारों से अवगत करवाना हम सभी का दायित्व है। हमारे संविधान तक में बुजुर्गों के साथ किसी भी रूप में किया गया दुर्व्यवहार अपराध की श्रेणी में आता है।
बुजुर्गो के साथ होते है तीन तरह के दुर्व्यवहार
अगर हम मोटे तौर पर ये समझना चाहे कि बुजुर्गो के साथ किस प्रकार के दुर्व्यवहार किए जा रहे है तो तीन चीजों पर चर्चा कर सकते है -1. शारीरिक दुर्व्यवहार (physical Abuse), 2. मौखिक दुर्व्यवहार (Verbal Abuse), 3. मानसिक दुर्व्यवहार (Emotional Abuse)।
हम सब अपने बड़े बुजुर्गो के द्वारा किए गये कार्यों का कभी भी कर्ज चुका नही पायेंगे पर क्या आज हम ये शपथ नहीं ले सकते कि हम अपने परिवार के बुजुर्गों का और अपने आस पास हर उस बुजुर्ग का उतना ही ख्याल रखेंगे जितना कि हम अपने बुड्ढे होने पर खुद का ख्याल रखा जाना पसंद करेंगे।
कार्यक्रम की संयोजिका स्क्वाड्रन लीडर राखी अग्रवाल ने सभी वक्तागणों का स्वागत किया व कहा कि, “आज के विषय के संदर्भ में शास्त्रों में वर्णित एक श्लोक का उल्लेख बहुत ही सटीक है: अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोंसेविन: ! चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम!!
अर्थात जो सदा नम्र सुशील विद्वान् बुज़ुर्गों और वृद्धों की सेवा करते हैं उनकी आयु, विद्या, यश और बल ये चार चीज़ें सदा बढ़ती रहती हैं। पर खेद इस बात का है कि यह सभी चीजें सभी को चाहिए लेकिन वृद्ध जनों बुजुर्गों अनुभवी सम्मानित लोगों की सेवा कोई नहीं करना चाहता है।
2026 में देश में बुजुर्गों की संख्या हो जाएगी 17.9 करोड़
आंकड़ो के अनुसार भारत में बुजुर्गों की संख्या दिनों दिन बढ़ती चली जा रही है। एक अनुमान के अनुसार 2026 में केवल भारतवर्ष में बुजुर्गों की संख्या 17.9 करोड़ हो जाएगी।
भारतीय संस्कृति में माता-पिता का दर्जा तो भगवान से भी ऊंचा होता है उनकी सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है। बस एक बार उनके बिना अपनी ज़िंदगी की कल्पना करिए और यक़ीन मानिए आपको एहसास हो जाएगा कि उनका आपकी ज़िंदगी में होना आपके लिए कितना आवश्यक है।
एक बार स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि – जिस व्यक्ति ने अपने माता पिता को वृद्धाश्रमों में भेज दिया है उसे तो जीवन भर का सूतक लग गया है वह मंदिर जाने लायक और शुभ कार्य करने लायक ही नहीं है।
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य महेंद्र भीष्म तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही।