लखनऊ। आजाद लेखक कवि सभा की ओर से महाराजा रणजीत सिंह के जन्म दिवस पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। बुधवार को गुरु तेग बहादुर भवन चंदर नगर आलमबाग में आयोजित कार्यक्रम के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह मोंगा थे।
परिचर्चा व गोष्ठी में देवेन्द्र पाल सिंह बग्गा, शरणजीत कौर सहित अन्य वक्ताओं ने महाराजा रणजीत सिंह के जीवन और उनके पराक्रम पर प्रकाश डाला। नरेन्द्र सिंह मोंगा ने बताया कि महाराजा रणजीत सिंह पहले भारतीय थे, जिन्होंने पहली बार अविजित रहे अफगानिस्तान पर विजय प्राप्त की।
आजाद लेखक कवि सभा ने महाराजा रणजीत सिंह के जन्म दिवस पर की परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी
इतना ही नहीं अफगानिस्तान से काश्मीर सहित बड़ा क्षेत्र छीनकर अपने विशाल साम्राज्य में शामिल किया। कोहेनूर हीरा सहित भारत से लूटी गई संपदा सोमनाथ मंदिर के सिंह द्वारों को वापस भारत लाये। महाराजा ने चीन तिब्बत के बहुत बड़े क्षेत्र को भी जीत कर अपने राज्य में शामिल किया था।
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वक्ता देवेन्द्र पाल सिंह बग्गा ने महाराजा रणजीत सिंह की धर्म निरपेक्ष नीति के उदाहरण देते हुए कहा कि यह उनकी नीतियों का कमाल था कि
छह प्रतिशत सिख होते हुए भी उन्होंने 51 प्रतिशत मुस्लिम, 42 प्रतिशत हिंदू और एक प्रतिशत अन्य धर्म मानने वालों पर ऐसा शासन किया कि वह सबके प्रिय बन गए थे। वक्ता त्रिलोक सिंह बहल, अजीत सिंह एवं अन्य कवियों ने कवितापाठ कर महाराजा रणजीत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।