गीता सप्ताह के अन्तर्गत हुई गीता के संदेश विषयक विद्वत्संगोष्ठी

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लखनऊ। अखिल भारतीय संस्कृत परिषद् देववाणी भवन, लखनऊ की मासिक अखिल भारतीय विद्वत्सङ्गोष्ठी के अन्तर्गत गीता के संदेश विषय पर मासिक विद्वत्संगोष्ठी देववाणी भवन के सभागार में हुआ।

अखिल भारतीय संस्कृत परिषद् देववाणी भवन, लखनऊ की ओर से शनिवार को हुए इस कार्यक्रम के सभाध्यक्ष परिषद् के मन्त्री व विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग,

इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयाग प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र, मुख्य अतिथि से.नि. प्राचार्य, जुहारी देवी महिला महाविद्यालय प्रो. रेखा शुक्ला, मुख्य वक्ता नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की प्रो. रीता तिवारी मंचासीन रहे।

मुख्य अतिथि प्रो. रेखा शुक्ला ने बीज वक्तव्य में कई प्रसंगो के माध्यम से गीता के प्रबंधन तथा कर्म पर प्रकाश डालाl प्रो. रीता तिवारी ने गीता के श्लोकों का ससंदर्भ उल्लेख करते हुए कहा कि गीता हमारी जीवनचर्या को निर्धारित करती है गीता से ज्ञात होता है कि किस प्रकार के कर्मों को जीवन के अलग-अलग समय पर हमें प्राथमिकता देनी चाहिएl

तभी हम अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि यह मानव जीवन प्रकृति के साथ सहयोग करने के लिए है, जैसे भगवान श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को संदेश प्रदान करके धर्म की स्थापना की थीl

कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक तथा लौकिक मंगलाचरण के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। परिषद् के अपर मंत्री व अध्यक्ष- संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय प्रो. अभिमन्यु सिंह ने सभी अतिथियों को माल्यार्पण-अंग वस्त्र भेंट कर वाचिक स्वागत किया।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन परिषद् के सांस्कृतिक मन्त्री डॉ अनिल कुमार पोरवाल और संचालन संगोष्ठी की संयोजिका डॉ पत्रिका जैन ने किया। कार्यक्रम में डॉ गौरव सिंह, डॉ अशोक शतपथी, डॉ शोभाराम दुबे आदि गणमान्य विद्वानों सहित पचास से अधिक संस्कृत के अनुरागी और छात्र –छात्रायें उपस्थित रहे।

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