दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राष्ट्रीय खेलों में ताइक्वांडो के प्रतियोगिता निदेशक (डीओसी) को हटाने के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में ‘कोई ठोस सबूत नहीं है’।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कोई सबूत न दिए जाने के कारण ताइक्वांडो प्रतियोगिता निदेशक और ‘टीएफआई’ को प्रतियोगिता के पूरे अधिकार बहाल करने का फैसला सुनाया है।
सोमवार को राष्ट्रीय खेलों की तकनीकी आचरण समिति (जीटीसीसी) ने डीओसी टी प्रवीण कुमार को कुछ अधिकारियों के साथ हटाया था जिन पर प्रतियोगिता शुरू होने से बहुत पहले 16 भार वर्गों में से 10 में परिणाम फिक्स करने के लिए रिश्वत मांगने का आरोप था। उनकी जगह एस दिनेश कुमार को डीओसी बनाया गया।
उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ‘‘डीओसी को बदलने का कोई कारण नहीं बताया गया है जो तकनीकी अधिकारियों में से एक नहीं है और मुकाबलों को तय करने में उनकी कोई भूमिका नहीं है।‘‘
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता द्वारा पारित आदेश में कहा गया है, ‘‘इनमें से किसी भी शिकायत के साथ कोई ठोस सामग्री नहीं है और इनमें केवल आरोप हैं। बताते चले कि 31 जनवरी 2025 की शिकायत में 2012 तक की अवधि के कुछ आरोपों का उल्लेख है।’’
प्रतियोगिता में हेराफेरी की तीन सदस्यीय रोकथाम समिति (पीएमसीसी) की मजबूत सिफारिशों के बाद 31 जनवरी को कुमार को हटाया गया। जीटीसीसी की अध्यक्ष सुनैना कुमारी ने कहा कि पीएमसीसी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है।
राष्ट्रीय खेलों के दौरान ताइक्वांडो प्रतियोगिता शुरू होने की पूर्व संध्या पर इस खबर से हड़कंप मच गया कि ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति के प्रतियोगिता निदेशक प्रवीण कुमार को ‘मैच फिक्सिंग’ के आरोपों के चलते उनके पद से हटा दिया गया है।
राष्ट्रीय खेल तकनीकी समिति (जीटीसीसी) ने तत्काल प्रभाव से आरोपी टी प्रवीण कुमार को हटाकर एस दिनेश कुमार को नियुक्त कर दिया था।
इसके खिलाफ ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता उत्तराखंड 2025 ताइक्वांडो प्रतियोगिता निदेशक को प्रतियोगिता के पूरे अधिकार बहाल कर दिए हैं और अधिकृत राष्ट्रीय महासंघ (एनएसएफ) के तौर पर प्रतियोगिता के आयोजन की पूरी जिम्मेदारी भी ‘टीएफआई’ को दे दी है।
हाईकोर्ट ने बिना किसी सबूत के ‘मैच फिक्सिंग’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर ताइक्वांडो खेल को बदनाम करने वालों के आरोपों को खारिज कर दिया है। ‘टीएफआई’ द्वारा राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता के लिए नियुक्त किए गए 20 अधिकारी और रेफरी जिनकी नियुक्ति इन झूठे आरोपों के चलते ‘जीटीसीसी’ ने रद्द कर दी थी, उन्हें भी बहाल कर दिया है।
मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे
ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया भी उन व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर करेगा, जिन्होंने समाचार पत्रों में ‘मैच फिक्सिंग’ जैसे झूठे आरोप लगाकर, कुछ पदाधिकारियों का नाम लेकर ताइक्वांडो खेल और फेडरेशन की छवि को धूमिल किया है।
ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव एडवोकेट आर. डी. मंगेशकर ने राय व्यक्त की कि यह उन लोगों के मुंह पर एक बड़ा तमाचा है, जिन्होंने ताइक्वांडो खेलों में ‘मैच फिक्सिंग’ जैसे झूठे आरोप लगाकर ताइक्वांडो खेल को बदनाम किया। ताइक्वांडो एक ओलंपिक खेल है और इलेक्ट्रॉनिक ‘सेंसर’ पर खेला जाता है।
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इसके अलावा, चूंकि सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक संपूर्ण कंप्यूटर सिस्टम और अत्याधुनिक सेंसर का उपयोग किया जाता है, इसलिए प्रतियोगिता में कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। इसलिए, यह खेल 100 प्रतिशत पूरी तरह से पारदर्शी है।
साथ ही, विशेषज्ञ कोच और खिलाड़ी कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से मैच के दौरान एक बड़ी स्क्रीन पर अपना स्कोर देख सकते हैं। अगर किसी कोच को अपने खिलाड़ी के स्कोर पर कोई आपत्ति है, तो वह तुरंत इसका समाधान मांग सकता है।
इसलिए, इस खेल में कभी भी किसी तरह की फिक्सिंग नहीं हो सकती। आर. डी. मंगेशकर ने आगे कहा कि इस आरोप के लिए जिम्मेदार सभी लोगों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। यह आरोप निराधार और मनगढ़ंत हैं।