करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर लगाए मुकदमों को तत्काल ले वापस

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आगरा। क्षत्रियों और सनातनियों के गौरव वीर राणा सांगा को देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में गद्दार कहा जाना तथा समस्त क्षत्रिय समाज व सनातनियों को गद्दारों की औलाद कहकर अपमानित किया जाना घोर निंदनीय कृत्य है।

इस बयान को कोई भी राजपूत, कोई भी हिंदू और कोई भी सनातनी स्वीकार नहीं कर सकता। इस बयान की जितनी निंदा की जाए, वह कम है..

क्षत्रियों और सनातनियों के गौरव राणा सांगा को संसद में गद्दार कहना निंदनीय: राजा अरिदमन सिंह

वरिष्ठ भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने भदावर हाउस से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि संसद में उठाई गई बात दूर तक जाती है।

इस निंदनीय बयान से उत्तर भारत में कश्मीर से लेकर बिहार और पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा एवं मणिपुर, दक्षिण के तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं केरल के राजपूतों को भी बुरा लगा है। समस्त भारत के सनातनी उन्हें गद्दारों की औलाद कहे जाने पर अपमानित महसूस कर रहे हैं।

छतों पर से पत्थर बाजी करने वालों को करें चिन्हित, जांच कर उनके विरुद्ध की जाए कार्यवाही

राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि इस बयान पर प्रतिक्रिया के फलस्वरुप करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर लगाए गए मुकदमे प्रशासन द्वारा तत्काल वापस लिए जाने चाहिए तथा छतों पर से पत्थर बाजी करने वालों को चिन्हित कर, जांच कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए।

अपमान का यह सिलसिला तो स्वतंत्रता के बाद ही शुरू हो गया था..

राजा अरिदमन सिंह ने स्पष्ट किया कि वह महान राणा सांगा जिसने मालवा और गुजरात के नवाबों को हराकर मेवाड़ की सीमाओं को धौलपुर व बयाना तक विस्तार दिया, उनको गद्दार कहा जाना तो पराकाष्ठा है लेकिन अपमान का यह सिलसिला तो देश के स्वतंत्र होने के वक्त ही शुरू हो गया था।

देश स्वतंत्र होने के वक्त हिंदुस्तान में 574 हिंदू रियासतें थीं। लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की आवाज पर सभी राज्यों (रियासतों) ने भारत के संविधान में आस्था व्यक्त करते हुए भारतीय गणराज्य में मय खजाने के विलय कर दिया।

इतना बड़ा त्याग करने पर इन राजाओं के निजी जेब खर्च और जीवन यापन के लिए बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान में प्रीवीपर्स की व्यवस्था की थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रशासनिक आदेश से इसको समाप्त कर दिया।

तब सभी राजाओं के संगठन चेंबर ऑफ प्रिंसेज ने नाना पालकी वाला के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ आवाज उठाई। इंदिरा गांधी  को आभास हुआ कि निर्णय उनके खिलाफ आ रहा है तो उन्होंने संविधान में संशोधन करके प्रीवीपर्स को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया।

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स्वतंत्र भारत में क्षत्रिय राज्यों के अपमान की यह शुरुआत थी, वहीं दूसरी ओर स्टैचू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन के समय भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन रियासतों के राजाओं के त्याग की भूरि भूरि प्रशंसा की थी।

इससे पूर्व ही उपन्यासों और फिल्मों में भी क्षत्रिय राजाओं की नकारात्मक छवि प्रस्तुत की जाने लगी थी, और अब देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में क्षत्रिय गौरव राणा सांगा को गद्दार कहा जाना तो पराकाष्ठा ही हो गई।

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