लखनऊ: वर्ल्ड अर्थ डे के अवसर पर सोमवार को सुएज इंडिया द्वारा भरवारा एसटीपी प्लांट में सस्टेनेबिलिटी हैकथॉन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के नर्सिंग छात्रों और छात्राओं ने शैक्षिक भ्रमण किया और पृथ्वी संरक्षण से जुड़े विचार-विमर्श में सक्रिय भागीदारी निभाई।
छात्रों ने प्लांट परिसर में पौधरोपण कर पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर सुएज इंडिया के परियोजना निदेशक राजेश मठपाल ने कहा कि आमतौर पर हम पर्यावरण पर फैशन, भोजन और फॉसिल फ्यूल के प्रभाव पर चर्चा करते हैं, लेकिन अक्सर यह भूल जाते हैं कि हमारी दैनिक उपयोग की वस्तुएं—जैसे नोटबुक, पेन और पेंसिल—भी क्लाइमेट चेंज में योगदान देती हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में विश्वभर में 422 मिलियन मीट्रिक टन कागज की खपत दर्ज की गई थी। इसके अलावा, प्लास्टिक से बनी स्टेशनरी की री-सायक्लिंग बेहद कठिन है, जिससे यह सीधे लैंडफिल में चली जाती है।
कार्यक्रम में एसिड अटैक सर्वाइवर्स महिलाएं भी शामिल हुईं, जिन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक के नुकसान और इसके पर्यावरण पर प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक किया। उन्होंने जूट के बैग और वैकल्पिक पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को अपनाने की अपील की। इन महिलाओं द्वारा दी गई सलाह को सभी ने सराहा। उल्लेखनीय है कि लखनऊ स्थित सुएज फाउंडेशन इंडिया द्वारा इन एसिड अटैक सर्वाइवर्स को नियमित सहायता प्रदान की जाती है।
कार्यक्रम के अंत में सस्टेनेबिलिटी हैकथॉन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सुएज इंडिया की यह पहल युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें व्यवहारिक रूप से इस अभियान में शामिल करने का प्रयास है।
यह कार्यक्रम न केवल जागरूकता फैलाने का माध्यम बना बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्थायी विकास की अवधारणा से जोड़ने में भी एक सार्थक कदम साबित हुआ।
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