छोटे किसानों को मिलेगा सतत आम लकड़ी बाजार से जुड़ने का अवसर

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उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद में पहली बार शनिवार को लखनऊ के जशन रिसॉर्ट में FSC आम लकड़ी छोटे किसानों की कार्यशाला का ऐतिहासिक आयोजन हुआ।

इस नवाचारपूर्ण कार्यशाला में आम उत्पादनकर्ता, निर्माता, व्यापारी और शीर्ष ब्रांड एक साथ आए, ताकि आम लकड़ी की सप्लाई चेन के भविष्य पर चर्चा कर सकें और इसे एक सतत और लाभकारी लकड़ी स्रोत के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से संभावनाओं को अधिकतम किया जा सके।

FSC प्रमाणित आम लकड़ी के लिए मलिहाबाद में पहल

कार्यशाला के पहले सत्र में FSC इंडिया के कंट्री डायरेक्टर डॉ. सुरेश गैरोला ने प्रारंभिक टिप्पणी दी, वहीं प्रभाकर बूड़ा, IFS, PCCF मॉनिटरिंग और वर्किंग प्लान्स, यूपी फॉरेस्ट विभाग, लखनऊ ने मुख्य भाषण दिया।

इसके बाद केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (CISH) के पूर्व निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने आम लकड़ी के महत्व पर तकनीकी व्याख्यान दिया।

ऑल टाइम प्लास्टिक्स के ऑपरेशन हेड राहुल वोहरा ने भारत में आम लकड़ी के उद्योग के दृष्टिकोण को साझा किया, जिसमें बाजार की आज की मांगों और विकासों पर प्रकाश डाला गया।

कार्यशाला के मुख्य भाग के रूप में डॉ. अरुणा टी. कुमार की अध्यक्षता में एक पैनल चर्चा हुई। पैनल में आदर्श मोहंन्दास (दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक, प्रेफर्ड बाय नेचर), मयंक सिंह (संस्थापक, मेटा एग्रीटेक प्रा. लि., मलिहाबाद), स्वप्ना बिस्वाल (मैनेजर, कंट्रोल यूनियन),

आकाश दीप बादवाण (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर, बराबंकी) और प्रेम शंकर विश्वकर्मा (हस्तशिल्प निर्माता, वाराणसी) शामिल थे, जिन्होंने आम लकड़ी को एक व्यावसायिक वस्तु के रूप में मुख्यधारा में लाने के नए अवसरों और खामियों की जांच की।

डॉ. सुरेश गैरोला ने FSC छोटे किसानों के समाधान प्रस्तुति में बताया कि कैसे छोटे किसान समूह प्रमाणन और क्षेत्रीय फॉरेस्ट स्टुअर्डशिप स्टैण्डर्ड के माध्यम से सतत लकड़ी बाजारों तक पहुँच सकते हैं।

इको स्टुअर्डशिप प्रा. लि. की असिस्टेंट मैनेजर डॉ. नीलिमा राठी ने प्रशिक्षण के दौरान प्रमाणन अनुपालन के लिए आवश्यक ऑडिटिंग प्रक्रिया पर सत्र संचालित किया।

FSC इंडिया के डिप्टी कंट्री डायरेक्टर अनुज शर्मा ने एक खुला सवाल-जवाब सत्र आयोजित किया, जिसमें प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछे और मुख्य विषयों का सारांश प्रस्तुत करते हुए समापन भाषण दिया।

उत्तर प्रदेश, जो भारत का सबसे बड़ा आम उत्पादन क्षेत्र है, और विशेष रूप से मलिहाबाद, इस परियोजना से बहुत लाभान्वित होगा, जिसका उद्देश्य प्रमाणित, ट्रेस करने योग्य सप्लाई चेन स्थापित करना और सतत कटाई विधियों को प्रोत्साहित करना है।

यह कार्यशाला छोटे किसानों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है, जो नैतिक और सतत स्रोत से आम लकड़ी उत्पादों की मांग करते हैं।

मलिहाबाद में इस प्रकार की पहली कार्यशाला से आम लकड़ी की सतत खरीद में अन्य प्रगति की उम्मीद है, जो उत्पादकों और निर्माताओं को नए बाजार के अवसर प्रदान करते हुए लकड़ी उद्योग में सामाजिक और पर्यावरणीय मानदंडों को बढ़ावा देगी।

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