न्यूयॉर्क : 31 वर्ष की उम्र में युकी भांबरी भारतीय टेनिस में एक नया अध्याय लिख रहे हैं—जहाँ उनकी पहचान असफलताओं से नहीं, बल्कि धैर्य और जज़्बे से होती है।
कभी भारत की सबसे बड़ी उम्मीदों में गिने जाने वाले युकी का करियर प्रतिभा और दृढ़ता का एक अनोखा संगम रहा है। कई सालों तक चोटों से जूझते हुए कोर्ट से दूर रहने के बाद, युकी ने शानदार वापसी की है और 2025 यूएस ओपन पुरुष युगल सेमीफाइनल तक पहुँचकर अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज कराया है।
यह सिर्फ एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी की बड़े मंच पर वापसी की कहानी नहीं है। यह विश्वास, नए सिरे से शुरुआत और लगातार मेहनत की कहानी है, जिसमें उनका साथ दिया राउंडग्लास टेनिस अकादमी और उनके जीवनभर के मार्ग दर्शक आदित्य सचदेवा ने, जो बचपन से ही युकी के कोच रहे हैं।
जूनियर नंबर 1 से लेकर चोटों तक का सफर
किशोरावस्था में युकी 2009 में जूनियर विश्वनंबर 1 बने और ऑस्ट्रेलियन ओपन जूनियर चैंपियन भी रहे, जिससे उम्मीद जगी कि भारत को एक नया सिंगल्स स्टार मिलेगा। उन्होंने 2018 में एटी पीसिंगल्स टॉप 100 में जगह बनाई, लेकिन बार-बार हुई घुटनों की चोटों ने उनके करियर को पटरी से उतार दिया और उन्हें लंबे समय तक खेल से दूर रहना पड़ा।
युकी ने स्वीकार किया है कि चोटों की वजह से उन्होंने कई बार अपने करियर को लेकर सोचा। शारीरिक दर्द कठिन था, लेकिन मानसिक रूप से प्रेरित रहना और रैंकिंग गिरने के बावजूद प्रतिस्पर्धा न कर पाना एक पेशेवर खिलाड़ी के लिए और भी मुश्किल होता है।
राउंडग्लास की भूमिका: नई शुरुआत
जब कई लोगों ने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया था, तब राउंडग्लास टेनिस अकादमी ने युकी को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण केंद्र और समग्र खेल पारिस्थिति की तंत्र उपलब्ध कराया।
अपने मार्गदर्शक और अकादमी के मुख्य कोच आदित्य सचदेवा के साथ मिलकर युकी ने अपने खेल, फिटनेस और मानसिक मजबूती को फिर से गढ़ा। राउंडग्लास ने खेल विज्ञान, फिजियोथेरेपी, न्यूट्रिशन, योग, मानसिक तैयारी और टैक्टिकल कोचिंग जैसी सभी सुविधाएँ एक ही जगह उपलब्ध कराईं।
इस सहयोग ने युकी को एक युगल विशेषज्ञ के रूप में खुद को नया रूप देने का अवसर दिया, जिसने उनके करियर को न सिर्फ लंबा किया बल्कि उन्हें फिर से दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल कर दिया।
यूएस ओपन की ऐतिहासिक उपलब्धि
यह मेहनत 2025 यूएस ओपन में रंग लाई, जब युकी और उनके साथी ने पुरुष युगल सेमीफाइनल में जगह बनाई—जो उनके करियर का अबतक का सबसे बड़ा ग्रैंडस्लैम नतीजा है। यह उस खिलाड़ी की पुनर्स्थापना का पल था, जिसने चोटों को अपनी पहचान नहीं बनने दिया।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
आज युकी की कहानी राउंडग्लास टेनिस अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है। उनकी वापसी यह साबित करती है कि असफलताएँ अस्थायी होती हैं, लेकिन धैर्य हमेशा कायम रहता है।
युकी के भीतर हमेशा से चैंपियन का दृष्टिकोण रहा है। कठिन समय में भी उन्होंने कभी फोकस नहीं खोया। राउंडग्लास में उन्हें खुद को दोबारा बनाने का सही माहौल मिला और नतीजे खुद बयां कर रहे हैं।
उनकी यात्रा भारतीय टेनिस में बदलाव का संकेत भी देती है: अब खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता पाने के लिए पूरी तरह विदेश पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। आरजीटी एजैसी सुविधाओं के साथ भारत अपना हाई-परफॉर्मेंस टेनिस इको सिस्टम बना रहा है।
आगे का रास्ता
आज युकी का हर मैच सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि धैर्य का उत्सव है और उभरते खिलाड़ियों के लिए संदेश है: असली चैंपियन वे हैं जो रैंकिंग से नहीं, बल्कि बार-बार उठ खड़े होने की क्षमता से परिभाषित होते हैं।
राउंडग्लास के लिए युकी की सफलता उसके विज़न को सही ठहराती है: एक ऐसी अकादमी बनाना जो सिर्फ खिलाड़ियों को तैयार न करे, बल्कि करियर और चैंपियन मानसिकता का निर्माण करे। यूएस ओपन सेमीफाइनल तक पहुँचना उनकी कहानी का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।
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