सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी कांतारा चैप्टर 1 कन्नड, हिंदी, तेलुगु, तमिल, मलयालम में उपलब्ध है और दर्शकों को एक रहस्यमय और सांस्कृतिक यात्रा पर ले जाती है।
फिल्म की कहानी कर्नाटक के काल्पनिक गांव कांतारा और उसके आसपास के जंगलों पर घूमती है। गांववासी मानते हैं कि उनकी रक्षा ईश्वर के गण करते हैं, गांव और जंगल की भूमि पर कब्जा करने की लालसा रखने वाला राजा और उसका पुत्र कुलसेखर इस शांति को चुनौती देते हैं।
कुलसेखर की कांतारा के लोगों पर अत्याचार करता है। इस बीच, आदिवासी नेता बर्मे अपने साहस और रणनीति से कुलसेखर की योजना को नाकाम करता है, गुलिका अनुष्ठान से उसकी हत्या करता है। कहानी यहीं खत्म नहीं होती, इसके बाद शुरू होता है छल और रणनीति का खेल।
कनकवती (रुक्मिणी वसंत) की सरप्राइज एंट्री और जंगल के देवता पनजुरली की शक्ति कहानी में रोमांच और गहराई जोड़ते हैं। क्लाइमेक्स और अनुष्ठान के सीन दर्शकों को अंत तक बांधते हैं।
ऋषभ शेट्टी बर्मे के रूप में पूरी तरह सहज और प्रभावी हैं। अभिनेता ने फिल्म में अपना सबकुछ झोंक दिया है जो उनकी अदाकारी में साफ झलकती है, ये उनका सालों तक याद करने वाला परफॉर्मेंस है।
रुक्मिणी वसंत की दमदार परफॉर्मेंस और ग्रे शेड कहानी में नया आयाम जोड़ती है। जयराम और गुलशन देवैया ने भी अपने-अपने किरदारों में वजन और मजबूती दिखाई।
ऋषभ शेट्टी ने कहानी का टोन रॉ और रियल रखा है। अरविंद एस. कश्यप की सिनेमैटोग्राफी जंगल और गांव की लोकेशन को शानदार ढंग से कैद करती है। प्रोडक्शन डिजाइन भी काफी प्रभावशाली है, जिसमें आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को सटीक रूप से दर्शाया गया है।
एक्शन सीन्स थ्रिल में रखते हैं, जबकि सही जगह पर डाली गई कॉमेडी सीन फिल्म को हल्का और मनोरंजक बनाते हैं। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और संगीत (अजनीश लोकनाथ) शानदार हैं।
गाने फिल्म की कहानी और माहौल को और असरदार बनाते हैं। कांतारा चैप्टर 1 सिर्फ़ फिल्म नहीं, बल्कि अनुभव है। यह लोककथाओं, विश्वास और जंगल के रहस्य को शानदार विज़ुअल्स और दमदार अभिनय के साथ पेश करती है।
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