भारत के मन शर्मा ने रचा इतिहास, बनाया नया ब्रॉड बर्पीज़ मैराथन विश्व रिकॉर्ड

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नई दिल्ली: भारत के एथलीट और सामाजिक उद्देश्य से प्रेरित खिलाड़ी, मन शर्मा ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने विश्व की पहली ब्रॉड बर्पीज़ मैराथन पूरी की है, जिसमें उन्होंने 42.195 किलोमीटर की दूरी केवल ब्रॉड बर्पीज़ के माध्यम से नौ दिनों में जवाहरलाल नेहरू (जेएलएन) स्टेडियम में तय की।

इस असाधारण उपलब्धि को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा एक नए विश्व रिकॉर्ड के रूप में मान्यता दी गई है। यह रिकॉर्ड पिछले 5.1 किलोमीटर के रिकॉर्ड से आठ गुना अधिक है, जिसे मन ने अपने मैराथन के पहले ही दिन पार कर लिया था।

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन के प्रतिनिधि इस अवसर पर मौजूद रहे और उन्होंने आधिकारिक रूप से मन शर्मा को विश्व रिकॉर्ड प्रमाणपत्र और पदक प्रदान किया, जो भारत के लिए वैश्विक मंच पर एक गौरवपूर्ण क्षण रहा।

ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने के बाद अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए मन शर्मा ने कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक अनुभव रहा है। जब मैंने इस यात्रा की शुरुआत की थी, मेरा एकमात्र लक्ष्य मानव सहनशक्ति की सीमाओं को पार करना और यह साबित करना था कि निरंतरता असंभव को संभव बना सकती है।

हर बर्पी, हर किलोमीटर इस बात की याद दिलाता रहा कि असली ताकत सिर्फ शरीर में नहीं, बल्कि मन और दिल में होती है। मेरा यह रिकॉर्ड प्रयास केवल सहनशक्ति की परीक्षा नहीं था, बल्कि प्रभाव पैदा करने का एक प्रयास था —द वन फ्रेंड एनजीओके लिए धन और जागरूकता जुटाने का, जो भारत भर में वंचित बच्चों को शिक्षा और सशक्तिकरण का अवसर प्रदान करता है।

मैं खेल मंत्रालय, फिट इंडिया, अपनी टीम, अपने प्रायोजकों और हर समर्थक का गहराई से आभारी हूँ, जिन्होंने मेरे साथ खड़े रहकर यह सपना साकार किया। यह रिकॉर्ड हम सभी का है — यह इस बात का प्रमाण है कि यदि उद्देश्य सच्चा हो, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।”

भारत सरकार के युवा कार्य एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री, डॉ. मनसुख एल. मंडाविया ने समापन समारोह में मन को इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए सम्मानित किया।

इस अवसर पर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की राष्ट्रीय अध्यक्ष अपूर्वा मेनन, राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रिया शर्मा, राष्ट्रीय सचिव अभिषेक कौशिक, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव मोहित शर्मा औरद जूनियर एजकी संस्थापक एवं संपादक दिव्यता शेरगिल उपस्थित रहीं। सम्मान समारोह में बोलते हुए डॉ. मनसुख एल. मंडाविया ने कहा, “मन शर्मा की यह अद्भुत उपलब्धि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

42.195 किलोमीटर की बर्पीज़ मैराथन पूरी करना केवल एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि मानव सहनशक्ति, अनुशासन और इच्छाशक्ति की विजय है। उनका यह असाधारण कारनामा भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि समर्पण और निरंतर प्रयास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता।

मन ने न केवल इतिहास रचा है, बल्कि भारत के इस संकल्प को भी मज़बूत किया है कि फिटनेस को जीवन का हिस्सा बनाना हमारा कर्तव्य है।” क्वेश्चन एसोसिएट्सद्वारा आयोजित औरफिट इंडियाके सहयोग से तथाभारतीय खेल प्राधिकरण (SAI)द्वारा मान्यता प्राप्त “मन वर्सेस बर्पीज़” चुनौती ने सहनशक्ति और दृढ़ता की सीमाओं को पुनः परिभाषित कर दिया है।

नौ दिनों तक मन ने स्टेडियम में रहकर और प्रशिक्षण लेकर प्रतिदिन हजारों बर्पीज़ किए, जिससे उन्होंने पूरी मैराथन दूरी पूरी की।

उनके इस प्रयास ने पूरे देश में लाखों लोगों को फिटनेस और उद्देश्यपूर्ण जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया। इस आयोजन को द जूनियर एज — भारत का अग्रणी बच्चों का समाचार पत्र और टाइटल स्पॉन्सर — का अमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ, जबकि मसलब्लेज़ और ब्राउन शुगर ने पूरी चुनौती के दौरान मन को पोषण और रिकवरी समर्थन प्रदान किया।

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन के प्रतिनिधियों ने मन की इस उपलब्धि को “मानव सहनशक्ति के इतिहास मंर एक अभूतपूर्व और असाधारण उपलब्धि” बताया। उन्होंने भारत को भी बधाई दी कि उसने ऐसे असाधारण एथलीट को जन्म दिया है, जो फिटनेस के क्षेत्र में वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है।

मन शर्मा की कहानी अटूट दृढ़ता और करुणा की मिसाल है। इटली और स्पेन के प्रतिष्ठित फुटबॉल अकादमियों, पाओलो रॉसी अकादमी और रियल मैड्रिड फाउंडेशन कैंप में प्रशिक्षण से लेकर चोटों और व्यक्तिगत चुनौतियों को पार करने तक, मन ने हमेशा विपरीत परिस्थितियों को सकारात्मक कार्रवाई में बदला है।

उनके पूर्व अभियानों, बेघर लोगों के लिए 24 घंटों में 100 किलोमीटर दौड़ना, बच्चों की शिक्षा के लिए 29 घंटे बर्पीज़ करना, जागरूकता के लिए दिल्ली से आगरा तक 205 किलोमीटर पैदल चलना और आत्महत्या रोकथाम के लिए बाली की सबसे ऊँची चोटियों पर चढ़ना, उनके सामाजिक प्रभाव के प्रति समर्पण को दर्शाते हैं।

“मन वर्सेस बर्पीज़” के समापन के साथ भारत एक ऐसे निर्णायक क्षण का साक्षी बना, जहाँ शक्ति और भावना एकजुट हुईं, और एक व्यक्ति का संकल्प एक ऐसी प्रेरणा में बदल गया जिसने पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया।

 

 

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