भरवारा एसटीपी : एनडीयू टीम ने समझी सीवेज ट्रीटमेंट की पूरी प्रक्रिया

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लखनऊ: राष्ट्रीय सुरक्षा और नीति अध्ययन के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (गृह मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा संचालित डिज़ास्टर मैनेजमेंट और राष्ट्रीय सुरक्षा के एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम के 25 वर्किंग प्रोफेशनल्स एवं दो शिक्षकों ने गुरुवार को भरवारा स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का शैक्षिक भ्रमण किया।

यह भ्रमण लखनऊ में वन सिटी वन ऑपरेटर के तहत सीवरेज मैनेजमेंट सेवाएँ प्रदान कर रही संस्था सुएज़ द्वारा आयोजित किया गया। इस दौरे का उद्देश्य प्रतिभागियों को शहरी जल प्रबंधन, सीवेज उपचार प्रक्रियाओं और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराना था।

भरवारा एसटीपी के प्लांट मैनेजर पार्थ सारथी नाथ ने टीम को प्लांट की संपूर्ण कार्यप्रणाली, सीवेज उपचार तकनीकों और वाटर रिकवरी सिस्टम के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि किस प्रकार इस आधुनिक प्लांट के माध्यम से लखनऊ शहर में जल पुनर्चक्रण (Water Recycling) और सीवेज के वैज्ञानिक प्रबंधन से पर्यावरण संरक्षण को मजबूती मिल रही है। प्रतिभागियों ने एसटीपी के विभिन्न यूनिट्स का दौरा कर सीवेज ट्रीटमेंट की चरणबद्ध प्रक्रिया को नज़दीक से समझा।

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय, लखनऊ कैंपस की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभ्रा सिंह ने भ्रमण को अत्यंत लाभकारी बताया। उन्होंने कहा “हम राष्ट्रीय सुरक्षा और डिज़ास्टर मैनेजमेंट में भारत का पहला एग्जीक्यूटिव मास्टर प्रोग्राम चला रहे हैं।

भरवारा एसटीपी—जो एशिया का दूसरा सबसे बड़ा प्लांट है—ने हमारे वर्किंग प्रोफेशनल्स को वास्तविक परिस्थितियों में जल प्रबंधन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण की प्रक्रियाओं को समझने का अनूठा अवसर दिया।” उन्होंने सुएज़, नगरीय विकास विभाग और जल निगम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अनुभव प्रतिभागियों के कौशल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

सुएज़ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजेश मठपाल ने कहा “हमें खुशी है कि इस शैक्षिक भ्रमण के माध्यम से वर्किंग प्रोफेशनल्स को शहरी जल प्रबंधन और सीवेज उपचार प्रणाली का व्यावहारिक अनुभव मिला। यह अनुभव उन्हें भविष्य में इस क्षेत्र में प्रभावी योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

भ्रमण में शामिल वर्किंग प्रोफेशनल अवधेश कुमार ने इसे अत्यंत उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम शहरी विकास एवं संकट प्रबंधन की वास्तविक चुनौतियों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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