लखनऊ। सडेन कार्डियक अरेस्ट (एससीए) में ज्यादातर मौतें जानकारी के अभाव में होती है जबकि अगर तीन मिनट के अंदर कार्डियक गतिविधि फिर शुरू न की जाये तो दिमाग की स्थायी क्षति हो सकती है।
यह बात केडीसिंह बाबू स्टेडियम के सभागार में पीजीआई के ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ आदित्य कपूर (विभागाध्यक्ष) ने एक कार्यशाला में खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों को सीपीआर के बारे में जानकारी दी। दी। इस कार्यशाला में प्रदेश के कई प्रशिक्षक एवं अधिकारी गूगल लिंक के माध्यम से जुड़ रहे।
जन जागरुकता की कमी से सडेन कार्डियक अरेस्ट के लोग होते हैं शिकर
डा. आदित्य कपूर ने बताया कि सडन कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक धड़कना बंद कर देना है जिससे दिल की पंपिंग क्रिया बाधित होती है और दिमाग व शरीर को पर्याप्त खून की आपूर्ति नहीं हो पाती। इसका शिकार कहीं भी कोई भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि सीपीआर से देश में हर साल दो मिलियन लोग शिकार होते हैं।
पहले तीन मिनट में पीड़ित को मदद न मिलने परबचने की संभावना लगभग शून्य होती है। यहीं नहीं सीपीआर यानि बचाव केउपाय करने में हर एक मिनट की देरी से बचने की उम्मीद दस प्रतिशत घट जाती है और जन जागरुकता की कमी के चलते लोग इसके शिकार हो जाते है।उन्होंने कहा कि सरल जीवन रक्षक विधि सीपीआर को आसानी से सीख सकते है।
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डॉ आदित्य कपूर ने इस दौरान सीपीआर और एईडी मशीन के डिमांस्ट्रेशन से बताया कि मशीन होने से 70 से 80 प्रतिशत तक बचने की संभावना रहती है। इस कार्यशाला के दौरान अपर मुख्य सचिव (खेल) डा. नवनीत सहगल, खेल निदेशक डा.आरपी सिंह एवं क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी अजय कुमार सेठी सहित प्रशिक्षक एवं खिलाड़ी मौजूद थे।