गायक रूहन कपूर ने अब तक भले ही सैंकड़ों कंसर्ट में अपनी गायिकी का जलवा दिखाया हो, मगर प्रसिद्ध गायक और अपने स्वर्गीय पिता महेंद्र कपूर से जुड़े हाल ही में आयोजित एक कंसर्ट को वे कभी भी नहीं भुला पाएंगे।
गायिकी की दुनिया में एक अलहदा आवाज़ के मालिक रहे महेंद्र कपूर के गानों को लेकर हाल ही में पंजाब के अमृतसर में एक यादगार कंसर्ट का आयोजन किया गया, जिसमें उनके गायक बेटे रूहन कपूर ने भी हिस्सा लिया।
इस कंसर्ट के बारे में जाकारी देते हुए रूहन कपूर ने बताया, “इस कंसर्ट का आयोजन मेरे स्वर्गीय पिता महेंद्र कपूर की जन्मस्थली अमृतसर में किया गया था। हमें दिग्गज संगीतकार करलोचन तोची और पंजाब स्क्रीन क्लब के दिलजीत सिंह की ओर से विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।”रूहन ने कहा, “अपने पिता की जन्मस्थली में छोला कुलचा खाते हुए, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर व अन्य मंदिरों में ईश्वर के दर्शन करते हुए अपने पिता की ज़िंदगी का जश्न मनाना मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा जिसने मुझे पुराने दिनों की यादें ताज़ा करा दीं।”
रूहन बताते हैं कि उनके गृह राज्य पंजाब में जिस तरह से डॉक्टरों, वकीलों, व्यापारियों और तकनीशियनों ने उनके पिता महेंद्र कपूर के मशहूर गानों को एक के बाद एक अपनी आवाज़ें दीं, उसके चलते वे अपने जज़्बात पर क़ाबू नहीं रख पाए और पूरे कंसर्ट के दौरान उनके और उनकी पत्नी नीरजा की आंखों में आंसू थे।रूहन ने इस ख़ास मौके पर कहा, “यहां पर हरेक गायक ने बेहद सुंदर तरीके से अपनी-अपनी गायिकी से समां बांध दिया. जब मैंने ‘दे शिवा वर मोहे’ गाया तो मैं भावविभोर हो गया था। मुझे सुन रहे तमाम दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ मेरा अभिवादन किया जो मेरे लिए एक अविस्मरणीय क्षण था।
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आंखों में आंसू लेकर इस गीत को स्वर देना मेरे लिए बेहद कठिन साबित हो रहा था”। लोकप्रिय आईपीएस अफ़सर और अमृतसर से आप पार्टी के विधायक विजय प्रताप सिंह ने भी इस शो में अपनी विशेष मौजूदगी दर्ज़ कराई.
इसपर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रूहन कपूर ने कहा, “वे कंसर्ट के ख़त्म होने तक और उसके बाद भी काफ़ी देर तक वहीं रुके रहे. मेरे पिता के प्रति उनका ये आदर भाव मेरे दिल को छू गया. अमृतसर के तमाम लोगों और 14 साल पहले दिवंगत हुए मेरे पिता के प्रति उनके प्रेम को देखकर मैं बेहद अभिभूत हूं
और इस अनुभव को मेरे लिए भुलाना आसान नहीं होगा। ” रूहन आगे कहते है, “संगीत वो ज़रिया है जो मुझे मेरे मनचाही जगह पर जाने का अवसर देती है।
मेरे पिता और उनकी गायकी से प्रेम करनेवाले सभी श्रोताओं के दिलों में बसती है मेरे पिता की आवाज़. जहां कहीं भी मेरे शब्द मेरी भावनाओं को व्यक्त करने में नाकाम साबित होते हैं तो ऐसे में मेरा संगीत मेरे जज़्बात को अच्छी तरह से बयां करता है”।