सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) देश के उत्कृष्ट शोध संस्थानों में से एक है। यह संस्थान भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अन्तर्गत कार्य कर रहा है। संस्थान विगत लगभग 65 वर्षों से औषधीय एवं सगंध पौधों के क्षेत्र में शोध व विकास एवं प्रौद्योगिकी प्रसार का कार्य कर रहा है।
किसानों की आय में गुणात्मक वृद्धि को ध्यान में रखते हुये यह संस्थान अनवरत् नयी तकनीकियों तथा औषधीय एवं सगंध पौधों की प्रजातियों का विकास एवं संरक्षण कर रहा है। सीएसआईआर-सीमैप द्वारा 150 से भी अधिक औषधीय एवं सगंध पौधों की उन्नत क़िस्मों तथा इनकी कृषि व प्रसंस्करण तकनीकियों का विकास किया गया है।
इन उन्नत क़िस्मों व कृषि एवं प्रसंस्करण तकनीकियों को किसानों तक सुगमता से पहुंचाने के लिए एक माध्यम बनाया गया जिसका नाम है किसान मेला। इस किसान मेले की शुरुआत सीएसआईआर-सीमैप के द्वारा वर्ष 2003 से हुई। यह किसान मेला देश के किसानों को औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती मे रुचि रखने वाले डिश भर के किसानों के लिए एक बेहतरीन मंच है।
अबतक आयोजित 19 किसान मेलों मे देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 75000 से अधिक प्रतिभागी भाग ले चुके हैं। जिसके फलस्वरूप देश के लाखों किसान और उद्यमी औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती एवं प्रसंस्करण प्रक्रिया कर लाभान्वित हो रहे हैं व उनके जीवन स्तर मे सुधार हो रहा है।
यह संस्थान सीएसआईआर द्वारा संचालित राष्ट्रीय एरोमा मिशन का भी सफल नेतृत्व कर रहा है। इस संस्थान द्वारा मेन्था व नींबूघास के क्षेत्र में किये गये उच्चस्तरीय अनुसंधान और विकास कार्यों के फलस्वरूप विश्व में भारत अपनी पहचान बना चुका है।
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मेंथाल मिन्ट एवं नींबूघास के सगंध तेलों का सर्वाधिक उत्पादक और निर्यातक राष्ट्र बन चुका है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर मेन्था के तेल के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का योगदान लगभग 75-80% तक है ।
सी.एस.आई.आर.-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सी.एस.आई.आर-सीमैप) द्वारा लखनऊ स्थित कैम्पस में दिनांक 30-31 जनवरी, 2024 को एक दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन किया जा रहा है।
इस मेले मे देश के विभिन्न राज्यों जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु तथा अन्य प्रदेशों से लगभग 5000 कृषकों और उद्यमियों के भाग लेने की सम्भावना है।
इस बार किसान मेले की थीम महिला सशक्तिकरण पर आधारित होगी। दो दिन चलने वाले किसान मेले के कार्यक्रम में औषधीय एवं सगन्ध पौधों पर ‘उत्पादन से बाजार तक” परिचर्चा गोष्ठी का भी आयोजन किया जायेगा, जिसमें वैज्ञानिको, कृषकों तथा खरीददारों के बीच परस्पर चर्चा होगी
साथ ही साथ उन्नत पौध सामग्री, प्रकाशनों व हर्बल उत्पादों का प्रदर्शन व विक्रय तथा आसवन/प्रसंस्करण व वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का सजीव प्रदर्शन तथा महिलाओं के लिए अगरबत्ती व गुलाब जल बनाने, मृदा परीक्षण का प्रदर्शन, ड्रोन तकनीकी का प्रदर्शन,
सीएसआईआर के विभिन्न संस्थानों का स्टाल व प्रद्योगिकियों का प्रदर्शन एवं सीएसआईआर ग्रामीण विकास सम्बन्धी विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया है। इस वर्ष लगभग 25 राज्यों के किसानों के भाग लेने की संभावना है।