ऑपरेशन वेलेंटाइन की स्क्रिप्ट पढ़कर, मुझे गर्व महसूस हुआ : वरुण तेज

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साभार : गूगल

ऑपरेशन वेलेंटाइन को लेकर मानुषी छिल्लर और वरुण तेज सुर्ख़ियों में हैं। फिल्म की कहानी भारत के बड़े एयरस्ट्राइक पर बेस्ड होगी। ऑपरेशन वैलेंटाइन का डायरेक्शन शक्ति प्रताप सिंह हाड़ा ने किया है। ऑपरेशन वेलेंटाइन में वरुण तेज ने अर्जुन देव की भूमिका निभाई है। फिल्म दो हिंदी और तेलुगु में 1 मार्च को रिलीज होगी।

मुझे स्क्रिप्ट पढ़कर गर्व महसूस हुआ। ये पुलवामा अटैक पर आधारित है। मुझे पहले से इस घटना के बारे में पता जरूर था, स्क्रिप्ट पढ़कर और बारीकियों का पता चला। फिल्म की कहानी में एयरफोर्स पायलट की जिंदगी के पहलुओं को दिखाया गया है।

@varunkonidela7

 

जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, मुझे इंस्पिरेशन मिला। वो लोग कितने सेल्फलेस होते हैं। मैं अपनी बात करूं, मैं खुद के, अपनी फैमिली के, अपने परिवार के बारे में सोचता हूं। एक सोल्जर पूरे देश को फैमिली मानते हैं। वो खुद के लिए नहीं लोगों के लिए जीते हैं। वे बॉर्डर पर हमारी रक्षा करने के लिए तैनात रहते हैं, और समय आने पर लड़ते भी हैं।

मेरा रोल एक रडार कंट्रोलर का है। रडार कंट्रोलर फाइटर पायलट को गाइड करते हैं। फिल्म में मेरा और वरुण का एक पर्सनल रिश्ता दिखाया गया है। हम दोनों घर की बात अलग और काम की बात अलग रखते हैं।

मैं अपने रोल को वायस ऑफ रीजन कहना चाहूंगी। ऐसा व्यक्ति जो दूसरों को समझदारी से कार्य करने के लिए प्रभावित करता है। मैंने जब पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी, तो फिल्म में रोल प्रैक्टिकल लगा।

साभार : गूगल

मैंने फिल्म में आहना गिल का रोल अदा किया है। आहना चीजों को लेकर क्लीयर है- वो अपना लक्ष्य जानती है। मेरे लिए ये मायने नहीं रखता कि फिल्म में मेरा रोल कितना है, या दूसरे का रोल कितना है। ये अच्छी तरह समझते हैं कि मिशन को पूरा करने में किसी एक का नहीं, कई लोगों का हाथ होता है।

हमारे आर्म्ड फोर्स में बहुत सारी फीमेल होती हैं, जिनका योगदान अहम होता है। हम लोगों ने फिल्म से उन सब बातों को दिखाने की कोशिश की है।

मैंने अपने रोल में असल कैप्टन अभिनंदन को मिमिक नहीं किया है। जिन्होंने हमारे देश के लिए इतना कुछ किया उनकी मिमिक्री करना सही नहीं है। कैरेक्टर्स फिक्शनल हैं। हम लोग रियल फाइटर जेट पायलट से इंस्पायर्ड जरूर हैं।

बचपन से हम इस देशभक्ति के एहसास से बड़े हुए हैं। ये समझना जरूरी है कि देश की रक्षा करने के लिए एक नहीं, काफी लोगों का योगदान होता है। मुझे याद है जब मैं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के लिए जा रही थी, उस दौरान मुझसे कहा गया था कि प्रतियोगिता में 120 देशों की लड़कियां होंगी। आपको आपके देश के नाम से बुलाएंगे।

मुझसे ये बोला गया था कि आप जो भी करोगे, लोग उससे इंडियंस के बारे में धारणा बना लेंगे। मैं जीत कर वापस आई, लोगों को खुशियां मनाते देखा, तब लगा कि ये अकेली मेरी जीत नहीं, पूरे देश की जीत है।

आप ऐसी फिल्में करते हैं, जो देश के हीरोज पर आधारित हैं, गर्व महसूस करते हैं। हमें ऑडियंस को एंटरटेन करना होता है और इस तरह के रोल जिम्मेदारी से निभाना होता है।

इससे हमें एहसास होता है कि ये वो फीलिंग है, जो हम सबको एक साथ लेकर चलती है। हम जाति, धर्म को किनारे रख कर मानवता के बारे में सोचें तो साथ की भावना को बेहतर समझ सकेंगे। मैंने 6 महीनों तक जिम की। मैंने खाने में चीनी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर दी। इस फिल्म के लिए मुझे बॉक्सर जैसा नहीं दिखना था। मुझे खुद की बॉडी पर अच्छा-खासा काम करना पड़ा।

इस फिल्म के दौरान मैं एक और फिल्म का शूट कर रही थी, जिसमें मेरे एक्शन सीक्वन्स थे। ऑपरेशन वेलेंटाइन के लिए मुझे वजन बढ़ाना पड़ा। वरुण ने मेरी मदद की। उन्होंने मुझे डाइट के लिए सही तरह से गाइड किया।

हमारी फिल्म की एयरफोर्स और डिफेंस लाइन ही है, ये फिल्म उन दोनों फिल्मों से अलग है। ऑपरेशन वेलेंटाइन में हमारा अप्रोच रियलिस्टिक है। हम काल्पनिक नहीं, बल्कि गहराई दिखाना चाहते हैं।

2002 में भगत सिंह के नाम से कई फिल्में आई थीं। हर फिल्म एक-दूसरे से जुदा थी। हम लोगों ने एयरफोर्स पायलट की निजी जिंदगी के किस्से दिखाए हैं। मुझे लगता है लोगों के लिए ये नया एक्सपीरियंस होगा।

मैंने साउथ के खाने को एंजॉय किया। तेलुगु सीखने की कोशिश की है। पूरी तरह से तेलुगु सीखने में समय लगेगा। सेट पर लोग थे, जो हमें डायलॉग बोलना सिखा देते थे। मैं तेलुगु याद करके ही सेट पर जाती थी। मैंने तेलुगु के डायलॉग्स बोले हैं।

वरुण ने कहा नई भाषा सीखना मुश्किल है। मैंने हमेशा से तेलुगु बोली है। हिंदी मैं समझता पूरा हूं बस ठीक से बोल नहीं पाता। मैं मलयालम और कन्नड़ समझ सकता हूं। मुझे लगता है फिल्म इंडस्ट्री की ये अच्छी बात है कि हमें अलग-अलग भाषाओं की फिल्में करने का मौका मिलता है।

मैंने साउथ इंडस्ट्री की एक ही फिल्म की है, मुझे वहां का डिसप्लिन लगा। सबकी टाइमिंग फिक्स रहती थी, और लोग टाइमिंग फॉलो करते थे। वहां के लोग टाइम को लेकर पंक्चुअल थे। हम टाइम से शुरू, टाइम पर खत्म और बीच में 1 घंटे का ब्रेक लेते थे।

रविवार को मेरी छुट्टी रहा करती थी। इस रूटीन से मुझे बचपन की याद आ गई। एक चीज जो मैं बदलना चाहूंगी वो बस भाषा के चलते कम्युनिकेशन गैप। वरुण ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि हिंदी इंडस्ट्री में सेट पर काफी महिलाएं काम करती हैं। साउथ में सेट पर कम फीमेल वर्कर्स ही देखने को मिलती हैं। ये ट्रेंड चेंज होता नजर आ रहा है।

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