अलीगंज नए हनुमान मंदिर में AI आधारित सुरक्षा: भीड़ नियंत्रण में क्रांतिकारी पहल

0
62

अलीगंज स्थित नए हनुमान मंदिर में बढ़ती भीड़ और सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए राज्य पर्यटन विभाग ने एक नई पहल की है। विभाग ने उन्नत फेस रिकग्निशन सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका मकसद पर्यटकों की निगरानी को अधिक सुव्यवस्थित बनाना और संभावित सुरक्षा खतरों से निपटना है।

इस नई तकनीक से भीड़ पर प्रभावी नियंत्रण और श्रद्धालुओं की सुरक्षा तय करना आसान होगा। यह प्रणाली धार्मिक स्थलों पर तकनीक के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में भी यह व्यवस्था लागू होगी। 6500 श्रद्धालुओं पर किया गया परीक्षण पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस एआई- आधारित सिस्टम ने परीक्षण के दौरान 6,500 से अधिक यूनिक विजिटर्स को रिकॉर्ड किया।

नए सुरक्षा सिस्टम ने 96 प्रतिशत की सटीकता दर के साथ रियल-टाइम में चेहरा पहचानने में सफलता हासिल की। यह अत्याधुनिक तकनीक भीड़ पैटर्न की निगरानी, संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने और पहली बार आने वाले चेहरों की पहचान करने में सक्षम है। यह प्रयास पर्यटन आकलन और साइट सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत उपयोगी है। इस सिस्टम से मंदिर परिसर में संदिग्ध व्यक्तियों की ‘ब्लैकलिस्ट करना आसान हो जाएगा।

पहली बार आने वाले पर्यटकों की पहचान भी आसान हो जाएगी। इससे भीड़ प्रबंधन में मदद मिलेगी। यहां परीक्षण सफल होने के बाद दूसरे मंदिरों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।

भीड़ प्रबंधन में मददगार साबित होगा पर्यटन मंत्री ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंदिर में वीआईपी गेट समेत प्रमुख प्रवेश और निकास द्वारों पर हाई-रेजोल्यूशन कैमरे लगाए गए, ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके। यह सिस्टम संभावित भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की पूर्व पहचान कर सकता है और भीड़ प्रबंधन हेतु त्वरित समाधान देने में सक्षम है।

चोरी या संदिग्ध गतिविधि की स्थिति में यह तकनीक तेजी से पहचान कर सुरक्षा बलों को सतर्क करने में मददगार है। इससे पहले, लखनऊ के व्यस्त हनुमान सेतु मंदिर में भी ऐसी तकनीक का परीक्षण हो चुका है, जहां प्रवेश और निकास की जानकारी डिजिटल और मैन्युअल दोनों तरीकों से दर्ज की गई थी। उस परीक्षण में सिस्टम ने 93 प्रतिशत सटीकता दर के साथ अच्छा प्रदर्शन किया था।

स्थानीय, पहली बार तथा दूसरे शहरों के श्रद्धालुओं में भेद संभव जयवीर सिंह ने बताया कि पर्यटन विभाग ने भविष्य में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के साथ मिलकर एक नया और अधिक मजबूत व व्यापक डाटा बेस विकसित करने की योजना बनाई है।

इस प्रणाली के माध्यम से स्थानीय निवासियों, दूसरे शहरों से आने वाले पर्यटकों और पहली बार आने वालों के बीच स्पष्ट भेद संभव हो सकेगा।

इन सफल प्रयोग के आधार पर विभाग अब इसे अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और हनुमान गढ़ी, प्रयागराज के बड़े हनुमानजी मंदिर व अलोपी देवी मंदिर, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर व बटुक भैरव मंदिर, मथुरा के कुसुम सरोवर और वृंदावन के श्रीबांके बिहारी मंदिर व प्रेम मंदिर जैसे प्रमुख स्थलों पर लागू करने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राज्य की व्यापक स्मार्ट पर्यटन नीति के अनुरूप है।

ये भी पढ़ें : एकेटीयू जानकीपुरम विस्तार से लविवि (ओल्ड कैम्पस) तक मेट्रो चलाने की माँग

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here