लखनऊ: “भारतीय खेल” पुस्तक परंपरागत खेलों के अभिनवीनीकरण एवं अनुसंधान की दिशा में अत्याधिक उपयोगी सिद्ध होगी। ये टिप्पणी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल माननीया श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने बुधवार को उक्त पुस्तक के लेखक आनन्द किशोर सक्सेना से भेंट के उपरांत कही।
परंपरागत खेलों के अभिनवीनीकरण एवं अनुसंधान की दिशा में अत्याधिक उपयोगी : राज्यपाल
इस पुस्तक के लेखक आनन्द किशोर सक्सेना ने देश व प्रदेश में परंपरागत-स्वदेशी खेलों का बढ़ावा देने के अपने प्रयास के तहत 601 पन्नों की ये पुस्तक लिखी। उन्होंने राज्यपाल को अपनी पुस्तक “भारतीय खेल” की प्रति भेंट की।
उनके इस प्रयास की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने प्रशंसा करते हुए कहा कि “भारतीय खेल” संभवत : भारत की पहली पुस्तक है, जिसमें लगभग सभी 300 से अधिक स्वदेशी भारतीय संस्कृति के खेलों को सम्मिलित किया गया है।
पुस्तक के लेखक आनन्द किशोर सक्सेना ने बताया कि इस पुस्तक को 8 भागों में लिखा गया है जो इस प्रकार है:-
1. आधुनिक खेल
2. नॉन ओलंपिक खेल
3. परम्परागत खेल
4. बौद्धिक सनातन संस्कृति के खेल
5. ग्रामीण खेल
6. थारू जनजाति के खेल
7. खेल के जरिये समावेशन
8. लोक कला व लॉक विधायें तथा विविध में प्रतियोगी परिक्षाओं में आने वाले प्रश्न, नई शिक्षा नीति और परम्परागत खेल तथा खेल संघों व उनके खिलाड़ियों की समस्यायें।
लेखक आनन्द किशोर सक्सेना के अनुसार ये पुस्तक स्कूलों/स्कूलों के खेल प्रशिक्षकों तथा खेलों इंडिया के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगी। यह पुस्तक प्राचीन स्वदेशी खेलों का अभिलेखागार बनाने की कोशिश है।
इस पुस्तक से हर उम्र के लोगों को उनका बचपन लौटाने, मोबाइल/इंटरनेट के युग में पुरातन खेलों को लुप्त होने से बचाने में अहम् भूमिका होगी और इससे प्राकृतिक खेलों के प्रति सभी का ध्यान आकर्षित होगा। इस पुस्तक से परंपरागत खेलों पर कुछ नया करने की सोच को प्रोत्साहन मिलेगा।
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यही नहीं भारतीय पुरातन खेलों व विद्याओं को संरक्षित करने में पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी। आनन्द किशोर सक्सेना अखिल भारतीय स्वदेशी खेल एसोसिएशन एवं उत्तर प्रदेश नान ओलंपिक एसोसिएशन के महासचिव भी है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश चेस स्पोर्ट्स एसोसिएशन के महासचिव एके रायजादा, लखीमपुर खीरी नॉन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील सिंह तोमर तथा जिला नान ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव सुनील जैन मौजूद रहे।