उत्तर भारत के कैंसर रोगियों के लिए अपोलोमेडिक्स लखनऊ नई उम्मीद

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लखनऊ।  उत्तर भारत में कैंसर इलाज को नई दिशा मिल रही है। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ ने पहली बार उत्तर प्रदेश और बिहार क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर को छोड़कर)

में दो अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरीज़ – निप्पल-स्पेयरिंग ब्रेस्ट सर्जरी और आरआईए-एमआईएनडी (रोबोटिक इन्फ्राक्लेविकुलर अप्रोच फॉर मिनिमली इनवेसिव नेक डिसेक्शन) – को सफलतापूर्वक अंजाम देकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।

अब दिल्ली नहीं, लखनऊ में ही मिलेगा अत्याधुनिक रोबोटिक कैंसर इलाज

इसके साथ ही अपोलोमेडिक्स में नियमित रूप से कोलोरेक्टल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, स्त्री रोग और यूरोलॉजिकल कैंसर के लिए भी रोबोटिक सर्जरी की जा रही है।

कैंसर सर्जरी में लखनऊ की ऐतिहासिक उपलब्धि: पहली बार रोबोटिक ब्रेस्ट और गर्दन सर्जरी

इन जटिल लेकिन सौंदर्य-संवेदनशील ऑपरेशनों की सफलता से अब मरीजों को पारंपरिक सर्जरी के दर्द, लंबे निशान और लंबे रिकवरी पीरियड से गुजरने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यह उपलब्धि कैंसर उपचार में “कॉस्मेटिक के साथ क्योर” की नई सोच को स्थापित करती है।

निप्पल-स्पेयरिंग ब्रेस्ट सर्जरी – शरीर की बनावट बरकरार, कैंसर का सफाया

डॉ. सतीश के. आनंदन के नेतृत्व में 60 वर्षीय महिला के दोनों स्तनों में मौजूद कैंसर का रोबोटिक तरीके से इलाज किया गया। पारंपरिक सर्जरी में स्तन, निपल और त्वचा पूरी तरह हटा दी जाती है, जिससे मरीज़ को मानसिक और भावनात्मक आघात लगता है।

वहीं इस प्रक्रिया में त्वचा और निप्पल को सुरक्षित रखते हुए केवल छोटे चीरे लगाए गए और कैंसरग्रस्त ऊतक हटा दिया गया।

सर्जरी करीब 6 घंटे चली, मरीज को आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया और तीन दिन में डिस्चार्ज दे दिया गया। पहले ऐसी सर्जरी केवल बड़े शहरों में होती थीं, यह उत्तर प्रदेश बिहार क्षेत्र में पहली बार संभव हुई है। उन्होंने इसे “कॉस्मेटिक के साथ क्योर” का नाम दिया यानी शरीर की प्राकृतिक बनावट को बनाए रखते हुए कैंसर से मुक्ति को सम्भव किया गया।

आरआईए-एमआईएनडी तकनीक से पहली बार ओरल कैंसर की रोबोटिक नेक न सर्जरी

डॉ. अभिमन्यु कड़ापथ्री की अगुवाई में आरआईए-एमआईएनडी तकनीक का उपयोग करते हुए बिना चेहरे या गर्दन पर चीरा लगाए गर्दन की जटिल सर्जरी की गई।

कॉलर बोन के नीचे से डाले गए रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट्स से लिम्फ नोड्स हटाए गए। सटीकता और कॉस्मेटिक रिज़ल्ट दोनों के लिहाज़ से यह तकनीक क्षेत्र में पहली बार सफलतापूर्वक लागू हुई। डा.अभिमन्यु ने बताया कि “पारंपरिक सर्जरी में गर्दन पर बड़ा चीरा लगता है, जिससे स्थायी निशान और धीमी रिकवरी होती है।

कोलोरेक्टल कैंसर में रोबोटिक और लैप्रोस्कोपिक तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल

डॉ. हर्षित श्रीवास्तव ने दो मरीजों का इलाज इन एडवांस तकनीकों से किया, जिससे दर्द और खून का नुकसान कम हुआ और रिकवरी तेज़ रही। रोबोटिक तकनीक, विशेषकर पेल्विक क्षेत्र की जटिल सर्जरी में अधिक सटीकता देती है।

उन्होंने कहा कि लैप्रोस्कोपी में सर्जन कैमरे और उपकरणों से सीधे ऑपरेशन करता है, जबकि रोबोटिक सर्जरी में डॉक्टर रोबोटिक आर्म्स को कंसोल से नियंत्रित करता है। यह खास कर पेल्विक जैसी जटिल जगहों में अधिक सटीकता देता है। दोनों तकनीकों में खून का नुकसान कम हुआ, दर्द कम रहा और मरीज़ जल्दी ठीक हो गए।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के एमडी और सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने इस अवसर पर कहा कि हमारा उद्देश्य केवल कैंसर का इलाज करना नहीं है,

बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि मरीज सर्जरी के बाद भी सम्मानपूर्वक और आत्मविश्वास के साथ जीवन जी सके। अब उत्तर प्रदेश और बिहार के मरीजों को इस तरह की सर्जरी के लिए मेट्रो शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा।

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